आ लाला तोकों खिलाऊं मैं होली
मारि गयों पिचकारी, अचानक थोरी सरीर पै थोरी हिये में। भीज गई सगरी अंगिय, रस प्यार बही बरजेरी हिये में। चारती प्रीति निचोरति चीर, संकोचति गीरी हिये में। भाल कबीर गुलाल कपोलनि नैननि में रंग होरी हिये में।
मथुरा, जागरण संवाददाता। मारि गयों पिचकारी, अचानक थोरी सरीर पै थोरी हिये में। भीज गई सगरी अंगिय, रस प्यार बही बरजेरी हिये में। चारती प्रीति निचोरति चीर, संकोचति गीरी हिये में। भाल कबीर गुलाल कपोलनि नैननि में रंग होरी हिये में।
सूर्य भगवान विदाई की अनुमति मांग रहे थे, पर बरसाने की रंगीली गली में तो रंगीले नंदगांव के ग्वाले ढाल लेकर जम गए थे। वे रह-रहकर बरसाने की गोपियों को होली खेलने के लिए उकसा रहे थे। लहंगा-ओढ़नी से सजी गोपियां लंबा घूंघट डाले हाथों में लाठियां लिए सामने थीं, पर आंखों में कुछ और ही था। इस बीच एक हुरियारे ने शरारती अंदाज में उनको होली खेलने का इशारा किया। गोपियों की ओर से आवाज आई, आ लाला तोकों खिलाऊं मैं होली। बस फिर क्या था, गोपियों ने ग्वालों पर तड़ातड़ लाठियां बरसानी शुरू कर दीं।
राधा की ग्वालिन सखियां ने कृष्ण के ग्वालबाल सखाओं को घुटनों के बल बैठा दिया। सिर पर ढाल रखे हुरियारों पर लाठियां भांजकर गोपियां प्रेम बरसा रही थी। ग्वाले बड़े आनंद के साथ लाठियां खा रहे थे। इसी दौरान आंखों के इशारे भी चलते रहे। इस सब अभिनय के साथ हाथों में गुलाल लेकर गोपियां हुरियारों को मल देती हैं। इस बीच बरसाने की रज के कण-कण से आवाज आने लगती है, होरी खेल रहे नंदलाल, बिरज की कुंज गली में। मथुरा की कुंज गली में।
इस विहंगम दृश्य को देखने के लिए दुनिया भर से आए लोग रंगीली गली की छतों, अट्टालिकाओं, छज्जों, चौपालों पर लदे हुए राधारानी की जयकार के गगनभेदी उद्घोष करने लगते हैं। मस्ती का माहौल होते हुए भी यहां सब श्रृद्धा से सराबोर थे। लाठियों के साथ अबीर, गुलाल और रंग भी बरस रहे थे। हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा ने माहौल को अलौकिक बना दिया। बरसाना में पिटने के बाद अब नंदगांव के हुरयारे मेजबान बनेंगे।
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