श्रद्धालुओं ने दर्शन कर मन्नत मांगी
17वीं सदी के सिमोग मंदिर से रात्रि प्रवास के लिए शिलगुर, विजट व चूड़ू देवता की पालकियां डांडा गांव पहुंची। चार पड़ाव से होकर गुजरी पालकियों का हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर मन्नत मांगी। रात में छाये पालकी के जागड़े का आयोजन किया गया।
चकराता। 17वीं सदी के सिमोग मंदिर से रात्रि प्रवास के लिए शिलगुर, विजट व चूड़ू देवता की पालकियां डांडा गांव पहुंची। चार पड़ाव से होकर गुजरी पालकियों का हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर मन्नत मांगी। रात में छाये पालकी के जागड़े का आयोजन किया गया।
डांडा गांव में मन्नत पूरी होने पर तीनों देवताओं की पालकियां एक रात के प्रवास पर गंगा सिंह नेगी अपने घर लाए। देव पालकियां सिमोग चली तो दर्शन को जनसैलाब उमड़ पड़ा। तीन पड़ाव पर पालकियों को दर्शनों के लिए रोका गया। डांडा गांव पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने देवताओं का आशीर्वाद लिया। मंगलवार को तीनों देव पालकियां वापस सिमोग मंदिर आकर विराजी। इस मौके पर समिति अध्यक्ष कुंवर सिंह शर्मा, पुजारी प्रेमदत्त, भंडारी माधूराम, गीताराम, ज्ञान सिंह, रूपराम आदि मौजूद थे।
जौनसारी गीतों पर थिरके लोग
डांडा गांव में छाये पालकी के जागड़े पर जौनसारी संस्कृति की छटाएं देखने को मिली। महिलाओं ने झेंता, रासो व हारुल गीतों पर नृत्य कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। सांस्कृतिक गीत संध्या में लोक गायक सीताराम चौहान व अजब सिंह तोमर के गीत लोगों के सिर चढ़कर बोले।
गीत संध्या में लोक गायक सीताराम ने जय जय शिलगुर महाराज की वंदना से कार्यक्त्रम की शुरूआत की। उन्होंने नाके नथुली कानू तुगीलो., ठाढूडो लाईया कांछो., मुंहटुडी चौवानी नखरे सोऊडो आनी के.गीत गाकर सबको भाव विभोर कर दिया। लोक गायक अजब ने हिमाचली नाटियों से समां बांधा। उन्होंने हरी काटी काकिड़ी., मिनके बामोटे लाले., झूृरी तेरे गांवदा., समथिंग समथिंग मिसिंग मिसिंग. गीतों से दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। फिल्मी गीतों पर अंशू तोमर, ऋषि चौहान, भानू ने नृत्य किए। श्याम सिंह, कुंवर सिंह, धन सिंह आदि ने भी लोगों का मनोरंजन किया। कार्यक्त्रम के मुख्य अतिथि बलवीर नेगी व आयोजक वीरेंद्र नेगी ने कलाकारों की सराहना की। इस मौके पर शांति रावत, बहादुर सिंह, मोहन सिंह, शेर सिंह व मायाराम आदि मौजूद थे।
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