परखनली में साहित्य
<p>शब्दों का आकर्षण जोड गया न्यूटन को सेब से गुरुत्वाकर्षण के वाक्य खिल उठे, मटर के फूलों से बरसी आनुवंशिकता गुणसूत्र-डीएनए-जीन से परखनली तक मुस्कुराता गया साहित्य। </p>
By Edited By: Published: Mon, 02 Jul 2012 07:52 PM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2012 07:52 PM (IST)
शब्दों का आकर्षण
जोड गया न्यूटन को सेब से
गुरुत्वाकर्षण के वाक्य खिल उठे,
मटर के फूलों से बरसी
आनुवंशिकता
गुणसूत्र-डीएनए-जीन से
परखनली तक
मुस्कुराता गया साहित्य।
विज्ञान के आलिंगन से
भाव-भाषा-वाक्य-विचार-रस
खुलते गए विंडोज की तरह
क्षण में कंप्यूटर सी
बूट होती रही कविता
समीकरण होते रहे
निबंध-कहानी-उपन्यास
नायक-नायिकाएं
कोरी कल्पना छोड प्रामाणिकता से
उपजीं
मनोविज्ञान के लैब में टेस्टेड ध्वनियां
सिद्ध हुए सूर-तुलसी-कबीर
बेपरखनली के वैज्ञानिक
मन वालों मान लो
एक सी थी, एक ही थी
नोबेल व टैगोर की
बुनियादी समस्या।
[डा. प्रितम अपछ्यांण]
रा.इ.का. दूनागिरी, अलमोडा [उत्तराखंड्र]
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