प्रधानमंत्री की दिल्ली बैठक का बहिष्कार
ा की निर्मलता-अविरलता के लिए संकल्पित स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की 17 अप्रैल को प्रस्तावित दिल्ली बैठक का बहिष्कार करते हुए 10 अप्रैल से पुन: जलत्याग तपस्या पर जाने की घोषणा की है।
वाराणसी। गंगा की निर्मलता-अविरलता के लिए संकल्पित स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की 17 अप्रैल को प्रस्तावित दिल्ली बैठक का बहिष्कार करते हुए 10 अप्रैल से पुन: जलत्याग तपस्या पर जाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरलता के प्रति सरकार की मंशा साफ नहीं है लिहाजा बैठक में शरीक होने का कोई औचित्य नहीं बनता। स्वामी सानंद रविवार को शंकराचार्य घाट पर मीडिया से मुखातिब थे। बताया कि 23 मार्च को दिल्ली एम्स में सरकार के प्रतिनिधियों ने 72 घंटे के अंदर अलकनंदा -मंदाकिनी पर निर्माणाधीन बांधों का काम रोक देने का भरोसा दिया था लेकिन उसे आज तक नहीं रोका जा सका। इससे साफ जाहिर है कि सरकार गंगा को बांधों से मुक्त करने के पक्ष में नहीं है। स्पष्ट किया कि सरकार के आश्वासन पर भरोसा कर जलग्रहण किया था और अपनी जलत्याग तपस्या गंगाप्रेमी भिक्षु को स्थानांतरित कर दी थी। जब सरकार अपने वादे से मुकर रही है तो वह भी अपनी जलत्याग तपस्या गंगाप्रेमी से वापस लेने के लिए विवश हैं। बताया, चार अप्रैल को उन्होंने जब सरकार को एक दिन की मोहलत दी तो फिर वही पुराना मौखिक भरोसा जताया गया कि काम बंद है। वहीं अभियानम् की टीम ने मौका मुआयना किया तो सारी परियोजनाओं पर काम चलते पाया गया। हां एक परियोजना पर सिर्फ आंशिक रूप से काम बंद बताया गया। बांधों के निर्माण में लगे संबंधित प्रोजेक्ट मैनेजरों से टीम ने पूछा तो बताया गया कि उन्हें काम रोकने संबंधी कहीं से किसी प्रकार का कोई निर्देश नहीं मिला है। इन हालातों से गंगा के प्रति सरकार की इच्छा शक्ति का पता चल जाता है लिहाजा उन्होंने जलत्याग तपस्या पर जाने का फैसला कर लिया है। उनकी यह तपस्या कहां शुरू होगी और तपस्या के दौरान वे कहां रहेंगे इसकी जानकारी उन्होने नहीं दी। उधर अभियान से जुड़े सूत्रों का कहना था कि इस बार तपस्या का क्रम गोपनीय रखा जाएगा। सूत्रों के अनुसार मीडिया के समक्ष यह घोषणा करने के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी सानंद ने शहर छोड़ दिया है। फोर्स फीडिंग- जिला प्रशासन को न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी गंगा की अविरलता के लिए तपस्यारत गंगाप्रेमी भिक्षु को प्रशासन के निर्देश पर बीएचयू में करायी गई फोर्स फीडिंग को लेकर अधिवक्ता समाज न्यायालय जाने की तैयारी कर रहा है। रविवार को द बनारस बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राममूरत सिंह यादव के नेतृत्व में काफी संख्या में अधिवक्ता गंगा तीरे शंकराचार्य घाट पर पहुंचे। पहले गंगा तपस्या के समर्थन में उपवास किया फिर अपराह्न में बैठक कर मां गंगा की रक्षा का संकल्प लिया। साथ ही संतों की तपस्या में प्रशासन द्वारा अवरोध पैदा किए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की और गंगाप्रेमी को करायी गई फोर्स फीडिंग के खिलाफ प्रशासन को न्यायालय में चुनौती देने का फैसला किया। तय किया गया कि दो दिनों के ही अंदर द बनारस बार और सेंट्रल बार एसोसिएशन की संयुक्त बैठक कर इस मुद्दे पर सामूहिक रूप से वाद दाखिल किया जाए। गंगाप्रेमी को फोर्स फीडिंग जारी मिलने वालों संग टोका-टाकी मंडलीय अस्पताल में तपस्यारत गंगाप्रेमी भिक्षु को फोर्स फीडिंग जारी है। रविवार को उनका रक्तचाप 120-80, पल्स 68 आंकी गयी लेकिन वजन नहीं लिया गया। चिकित्सकों के अनुसार उनका स्वास्थ्य ठीक है। अस्पताल में उनकी निगरानी के लिए दो पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है जो गंगाप्रेमी से मिलने वालों पर न केवल नजर रखे हुए हैं बल्कि मिलने पर टोका-टाकी भी कर रहे हैं। पूछने पर बताया कि ऊपर से ऐसा आदेश है।
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