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आंकड़ों में भी फिसड्डी रही है टीम इंडिया

आस्ट्रेलिया के मौजूदा दौरे में भारतीय टीम के लचर प्रदर्शन की कहानी इस तरह बयां की जा सकती है कि उसके बल्लेबाज काफी रन बनाने में नाकाम रहे जबकि गेंदबाज भी काफी विकेट हासिल नहीं कर पाए। महेंद्र सिंह धोनी की टीम को अब अगर त्रिकोणीय एकदिवसीय क्रिकेट सीरीज में अपने अभियान को आगे बढ़ाना है तो इन दोनों ही विभागों में उसे बेहतर प्रदर्शन करना होगा।

By Edited By: Published: Thu, 23 Feb 2012 02:24 PM (IST)Updated: Thu, 23 Feb 2012 02:24 PM (IST)
आंकड़ों में भी फिसड्डी रही है टीम इंडिया

सिडनी। आस्ट्रेलिया के मौजूदा दौरे में भारतीय टीम के लचर प्रदर्शन की कहानी इस तरह बयां की जा सकती है कि उसके बल्लेबाज काफी रन बनाने में नाकाम रहे जबकि गेंदबाज भी काफी विकेट हासिल नहीं कर पाए। महेंद्र सिंह धोनी की टीम को अब अगर त्रिकोणीय एकदिवसीय क्रिकेट सीरीज में अपने अभियान को आगे बढ़ाना है तो इन दोनों ही विभागों में उसे बेहतर प्रदर्शन करना होगा।

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टीम इंडिया मौजूदा वनडे सीरीज के छह में से तीन मैचों में अपने कोटे के 50 ओवर भी नहीं खेल पाई। इसे चार भी माना जा सकता है क्योंकि श्रीलंका के खिलाफ धौनी ने एडिलेड ओवल में जब अंतिम गेंद पर मैच टाई कराया तो भारत की अंतिम जोड़ी मैदान पर थी। इसके विपरीत भारतीय गेंदबाज छह मैचों में से किसी में भी विरोधी टीम को आलआउट नहीं कर पाए। दूसरी तरफ आस्ट्रेलिया ने अपने पांच मैचों में चार बार विरोधी टीम के सभी बल्लेबाजों को आउट किया। यहां तक कि श्रीलंका भी अपने पांच मैचों में तीन बार विरोधी टीम को आल आउट करने में सफल रहा। निश्चित तौर पर भारत की चार प्रमुख तेज गेंदबाजों के साथ उतरने की रणनीति और मध्यम तेज गति के आलराउंडर की कमी टीम को खल रही है।

आस्ट्रेलिया और श्रीलंका के गेंदबाजों की सामूहिक सफलता दर्शाती है कि दोनों छोर से नई गेंद के इस्तेमाल से अब रन बनाना अधिक मुश्किल हो गया है। इसके अलावा यह भी तथ्य है कि आस्ट्रेलिया के विकेट गेंदबाजों के अधिक अनुकूल हैं। मौजूदा सीरीज में अब तक कोई टीम 300 रन के आंकड़े को नहीं छू पाई है जबकि कोई भी बल्लेबाज सैकड़ा भी नहीं जड़ पाया है। वह भी तब जब सीरीज का हिस्सा चार ऐसे बल्लेबाज [सचिन तेंदुलकर, कुमार संगकारा, महेला जयवर्धने और रिकी पोंटिंग] रहे जिन्होंने अपने वनडे कैरियर में 10000 से अधिक रन बनाए हैं। सीरीज में वीरेंद्र सहवाग, तिलकरत्ने दिलशान और डेविड वार्नर जैसे आक्रामक सलामी बल्लेबाज भी हिस्सा ले रहे हैं लेकिन शुरूआती 20 ओवर में से 15 ओवर पावरप्ले के होने के बावजूद अब तक कोई भी सलामी जोड़ी शतकीय साझेदारी भी नहीं कर पाई है। मौजूदा सीरीज में इसके अलावा कई युवा प्रतिभावान खिलाड़ी भी खेल रहे हैं लेकिन इसके बावजूद अब तक सिर्फ एक शतकीय साझेदारी हुई जब आस्ट्रेलिया के माइक हसी और पीटर फोरेस्ट ने भारत के खिलाफ पिछले रविवार को ब्रिस्बेन में 100 रन जोड़े।

चौकों और छक्कों के लिए भी बल्लेबाजों को जूझना पड़ रहा है। वेस्टइंडीज के खिलाफ पिछले साल रिकार्ड 219 रन की पारी के दौरान 25 चौके जड़ने वाले सहवाग अब तक केवल पांच चौके मार पाए हैं। भारतीय बल्लेबाजों ने सीरीज में अब तक सिर्फ नौ छक्के मारे हैं। टूर्नामेंट में अब तक सर्वाधिक 20 चौके दिलशान के नाम दर्ज हैं जबकि सर्वाधिक छक्के डेविड हसी [पांच] ने लगाए हैं।

सीरीज में 200 से अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों में दो बल्लेबाज गौतम गंभीर [222] और विराट कोहली [219] भारत के हैं जबकि श्रीलंका के भी दो बल्लेबाजों दिनेश चांदीमल [226] और दिलशान [200] ने यह कारनामा किया है। आस्ट्रेलिया की ओर से केवल डेविड हसी 244 रन के साथ इस सूची में हैं और वह टूर्नामेंट में तीन अर्धशतक के साथ सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज भी हैं। आस्ट्रेलिया की टीम सबसे मजबूत हैं क्योंकि उसके बल्लेबाज बड़ी साझेदारियां करने में सफल रहे हैं जबकि उसके गेंदबाजों ने भी विरोधी टीमों के मुकाबले नियमित अंतराल पर विकेट चटकाए हैं और उनका इकोनामी रेट भी बेहतर रहा है। आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने सीरीज में आठ अर्धशतक बनाए हैं जबकि श्रीलंका के बल्लेबाजों ने भी आठ अर्धशतक जड़े हैं। भारतीय बल्लेबाजों ने केवल छह अर्धशतक बनाए हैं। भारत की ओर से केवल गंभीर, धोनी और कोहली ही 50 या इससे अधिक रन की पारी खेल पाए हैं।

यह आंकड़े दर्शाते हैं कि भारतीय बल्लेबाज बड़ी साझेदारी करने में नाकाम रहे। आस्ट्रेलिया की गेंदबाजी विरोधी टीमों से बेहतर रही। शीर्ष 12 गेंदबाजों में आस्ट्रेलिया के पांच, श्रीलंका के चार जबकि भारत के सिर्फ तीन गेंदबाज हैं। आस्ट्रेलिया के तीन गेंदबाजों बेन हिल्फेनहास, क्लिंट मैकाय और जेवियर डोहर्टी ने पांच रन प्रति ओवर से कम की गति से रन दिए हैं जबकि इनका क्रमश: 12, 21 और 38 का स्ट्राइक रेट भी काफी अच्छा है। सीरीज में अब तक एक पारी में पांच विकेट सिर्फ हिल्फेनहास ने हासिल किए हैं जिन्होंने गाबा में भारत के खिलाफ 33 रन देकर पांच विकेट चटकाए।

रविचंद्रन अश्विन और आर विनय कुमार क्रमश: सात और नौ विकेट के साथ भारत के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज हैं। अश्विन ने हालांकि अपने सभी विकेट श्रीलंका के खिलाफ हासिल किए हैं जबकि विनय ने छह मैचों में पांच रन प्रति ओवर से अधिक की दर से रन दिए हैं। श्रीलंका को लसिथ मलिंगा [आठ विकेट] और नुवान कुलशेखरा [06] की तेज गेंदबाजी जोड़ी ने अधिकांश मौकों पर अपने पहले स्पैल में सफलता दिलाई है जबकि आलराउंडर तिषारा परेरा [नौ विकेट] और एंजेलो मैथ्यूज [पांच विकेट] ने तीसरे और चौथे मध्यम तेज गति के गेंदबाज की कमी को पूरा किया है। तेज गेंदबाज फरवेज महारूफ ने अब तक खेले दो मैचों में 3.89 की इकोनामी दर से तीन विकेट हासिल किए हैं। इससे साफ होता है कि भारत को अगर सीरीज में अपनी उम्मीदों को जीवंत रखना है तो उसके बल्लेबाजों को बड़ी पारियां खेलनी होंगी और बड़ी साझेदारी करनी होंगी जबकि गेंदबाजों को भी बेहतर प्रदर्शन करना होगा। टीम का क्षेत्ररक्षण अच्छा रहा है लेकिन फिलहाल प्राथमिकता अधिक रन बनाना और अधिक विकेट हासिल करना है।

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