नए रास्तों से होगी मानसरोवर यात्रा
एक तरफ कैलाश मानसरोवर यात्रा की दुर्गम राहें। दूसरी ओर यात्रा के प्रति लगातार बढ़ता आकर्षण। ऐसे में नया रास्ता जरूरी है। अब बद्रीनाथ से माना पास मार्ग से नए रास्ते को तलाशा गया है।
आगरा। एक तरफ कैलाश मानसरोवर यात्रा की दुर्गम राहें। दूसरी ओर यात्रा के प्रति लगातार बढ़ता आकर्षण। ऐसे में नया रास्ता जरूरी है। अब बद्रीनाथ से माना पास मार्ग से नए रास्ते को तलाशा गया है। इसे खोलने को लेकर चीनी अधिकारियों से बातचीत की जा रही है। इसके अलावा कुछ ऐसे रास्तों की भी तलाश चल रही है, जिनका लंबे समय पहले उपयोग होता था।
सोमवार को आगरा आए भारत-तिब्बत सीमा पुलिस [आइटीबीपी] के डीआइजी एपीएस निमबाडिया ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैलाश मानसरोवर जाने के लिए इस समय 11 प्रचलित रास्ते हैं। इनमें अल्मोड़ा से [वाया लिपु पास], जोशीमठ से [वाया दंजन, निति पास], बद्रीनाथ से [वाया माना पास], शिमला से [वाया शिपकी तथा तुलंगी पास] मार्ग शामिल हैं। इनकी तुलना में बद्रीनाथ होकर माना पास का मार्ग आसान है। मानवीय जरूरतों, खासकर आपदा प्रबंधन के समय इस्तेमाल हो सकने वाले मार्गो पर भी आइटीबीपी की नजर है। उन रास्तों की खोज भी की जा रही है, जिनसे बीसवीं सदी के पांचवें दशक तक यात्री कैलाश जाते रहे हैं।
पुराने राजसी नक्शों से शुरू हुई तलाश-
डीआइजी एपीएस निमबाडिया ने बताया कि अस्कोट के राजा भानुराज पाल ने खास दिलचस्पी दिखाई व स्टेट काल की जो जानकारी एवं नक्शे उनके पास थे, अभियान दल के सदस्यों को दिये। इनके दस्तावेजों व नक्शों के आधार पर जो रास्ते तलाशे, उनमें अनेक की उपयोगिता अब भी है। उत्तराखंड के पर्यटन विभाग ने इनमें से अनेक नॉन रूटीन ट्रैकों को हेरिटेज ट्रैक या नेचर वॉक घोषित कराने की कोशिश शुरू कर दी है।
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