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नमो नमो अम्बे दुख हरनी

मां भगवती की भक्ति में आम लोगों के साथ युवाओं की दिनचर्या में भी काफी बदलाव आया है। चेहरे पर दाढ़ी, माथे पर टीका। कंधे के ऊपर रखी लाल चुनरी। मां का दर्शन-पूजन को लेकर व्याकुलता।

By Edited By: Published: Sat, 31 Mar 2012 05:24 PM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2012 05:24 PM (IST)
नमो नमो अम्बे दुख हरनी

इलाहाबाद। मां भगवती की भक्ति में आम लोगों के साथ युवाओं की दिनचर्या में भी काफी बदलाव आया है। चेहरे पर दाढ़ी, माथे पर टीका। कंधे के ऊपर रखी लाल चुनरी। मां का दर्शन-पूजन को लेकर व्याकुलता। देवी मंदिरों, भगवती जागरण स्थल पर यह दृश्य आम है। इस समय मां भगवती की भक्ति का रंग हर किसी के ऊपर चटख है। महिला, पुरुष व वृद्धों के साथ युवा भी मां की भक्ति में डूबे हैं। हर देवी मंदिरों हाथों में पूजा की टोकरी, चेहरे पर शांति व मन में भक्ति लिए जयकारा लगाने वालों में युवाओं की संख्या सबसे अधिक रहती है। मां के दिव्य स्वरूप का दर्शन हुआ तो उनकी खुशी देखते ही बनती है। वह भक्त आंखें बंद करके मां को अपने हृदय में समा लेना चाहते हैं। देवी के नवरात्र में महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती का पूजन तथा दुर्गा सप्तशती का पाठ मुख्य है। नौ दिनों तक मां भगवती के नौ स्वरूपों का पूजन करने के साथ नवमी विनम्र और सौम्य प्रवृत्ति के प्रतीक मर्यादा पुरुषोत्तम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। पौराणिक कथानुसार चैत्रशुक्ल मास की नवमी को श्रीराम का जन्म हुआ। यह पर्व मानव के अंदर कर्मनिष्ठा व सदाचार लाने वाला होता है। यही कारण है कि आधुनिकता के दौर व व्यस्तता के बाद भी युवा मंदिरों में पहुंच रहे हैं। हनुमत निकेतन, ललिता देवी, कल्याणी देवी, अलोपशंकरी, बड़े हनुमान मंदिर, मनकामेश्‌र्र्वर, रामबाग हनुमान मंदिर, नागवासुकी आदि मंदिरों में हर दिन हर समय युवा आराधना में लीन नजर आते हैं।

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