काशी विश्वनाथ मंदिर
काशी (बनारस) को तीन लोक से न्यारी और प्राचीन नगरी कहा जाता है। जाहिर है कि ऐसे शहर में स्थित विश्वनाथ मंदिर की महत्ता भी खास ही होगी। वैसे भी विश्वनाथ का तात्पर्य हुआ सारे विश्व के नाथ। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक शिव का यह मंदिर शैव हिंदुओं के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक माना जाता है। बनारस में गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण के काशी खंड में मिलता
काशी (बनारस) को तीन लोक से न्यारी और प्राचीन नगरी कहा जाता है। जाहिर है कि ऐसे शहर में स्थित विश्वनाथ मंदिर की महत्ता भी खास ही होगी। वैसे भी विश्वनाथ का तात्पर्य हुआ सारे विश्व के नाथ। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक शिव का यह मंदिर शैव हिंदुओं के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक माना जाता है। बनारस में गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण के काशी खंड में मिलता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार पहली बार सन 490 में यहां भव्य मंदिर बनाया गया, लेकिन इसका ढांचा कई बार टूटा और फिर से बना। मंदिर के ठीक बगल में ज्ञानवापी मसजिद है। कहा जाता है कि मंदिर का मौजूदा ढांचा इंदौर की रानी अहिल्या बाई होलकर ने 1780 में बनवाया था। फाल्गुन शुक्ल एकादशी (23 मार्च) को यहां श्रृंगारोत्सव का आयोजन होता है।
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