महाकुंभ के लिए मांगेगे 30 प्रतिशत अधिक जमीन
महाकुंभ के दौरान इस बार देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के मद्देनजर मेला क्षेत्र की जमीन को बढ़ाने का फैसला किया गया है।
इलाहाबाद। महाकुंभ के दौरान इस बार देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के मद्देनजर मेला क्षेत्र की जमीन को बढ़ाने का फैसला किया गया है। सन 2000 के कुंभ की तुलना में इस बार मेला प्रशासन ने 30 प्रतिशत अधिक जमीन के अधिग्रहण का फैसला किया है। जमीन का सर्वेक्षण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। दो-एक दिनों में शासन को रिपोर्ट भेज दी जाएगी।
महाकुंभ के आयोजन में अब सिर्फ छह माह का समय शेष है, लेकिन स्थाई और अस्थाई तमाम कार्य अभी लंबित पड़े हैं। मेले से पहले कराए जाने वाले स्थाई कार्यो की हालत तो बेहद खराब है। हालांकि मेला प्रशासन का दावा है कि लक्ष्य के तहत 31 दिसंबर तक सभी कार्य पूरे कर लिए जाएंगे। मेले में आने वाली भारी भीड़ को देखते हुए मेला प्रशासन इस बार शासन से 30 प्रतिशत अधिक जमीन अधिग्रहीत करने की मांग कर रहा है। अनुमोदन मिलने के बाद काश्तकारों को नोटिस दी जाएगी। उनसे आपत्तियां मिलने के बाद निस्तारण की कार्रवाई शुरू होगी। मुआवजे को लेकर हर साल की तरह इस साल भी पेंच फंसने की पूरी संभावना है। पिछले साल उपजाऊ भूमि के लिए 1500 रुपये और बंजर भूमि के लिए तकरीबन 1000 रुपये प्रति बीघा मुआवजा दिया गया था। तय है इस बार काश्तकार अधिक रुपये मांगेगे। ऐसे में जमीन के अधिग्रहण में ही अभी काफी वक्त लग जाएगा। जमीन अधिग्रहीत होने के बाद ही आगे के सारे काम शुरू हो पाएंगे। ऐसे में अक्टूबर तक भूमि आवंटन का कार्य भी पिछड़ सकता है। हालांकि महाकुंभ मेलाधिकारी मणिप्रसाद मिश्र का कहना है कि जल्द ही शासन को रिपोर्ट भेज दी जाएगी। वहां से अनुमोदन होने के बाद सभी कार्य तय समयावधि में निपटा लिए जाएंगे।
गंगा की कटान कर सकती है परेशान-
गंगा की कटान भी मेला प्रशासन के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। मेला प्रशासन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अगर कटान बढ़ा तो साधु-संतों और अखाड़ों को झूंसी की ओर जमीन देनी होगी। ज्यादातर अखाड़े इसके लिए तैयार नहीं होते।
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