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महाकुंभ में होगा संस्कृतियों का मिलन

मारिया साड़ी पहनकर कजरी पर ठुमका लगाएंगी। थामस के दिन की शुरुआत पूजा से होगी, गेरी समोसा व मठरी बनाना सीखेंगी। यह किसी फिल्म की कहानी नहीं है, बल्कि महाकुंभ में आने वाले विदेशी इसे स्वयं अपनाएंगे।

By Edited By: Published: Fri, 06 Jul 2012 04:48 PM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2012 04:48 PM (IST)
महाकुंभ में होगा संस्कृतियों का मिलन

इलाहाबाद। मारिया साड़ी पहनकर कजरी पर ठुमका लगाएंगी। थामस के दिन की शुरुआत पूजा से होगी, गेरी समोसा व मठरी बनाना सीखेंगी। यह किसी फिल्म की कहानी नहीं है, बल्कि महाकुंभ में आने वाले विदेशी इसे स्वयं अपनाएंगे। वह होटलों में रहकर कोई मौज-मस्ती नहीं करेंगे और न ही मलिन बस्तियों की फोटो खींचकर अपने देश ले जाएंगे। इस बार वह यहां से भारतीय व्यंजन, संस्कृति, पहनावा, खेल-कूद, गीत-संगीत को अपने साथ लेकर जाएंगे। इसके लिए वह होटलों की बजाय लोगों के घरों में ठहरेंगे। घर के सदस्य की तरह वह उनके काम में हाथ बटाएंगे। फिर यहां के लोग उनके देश जाकर उनकी संस्कृति से रूबरू होंगे। इसको लेकर मठ बाघंबरी गद्दी की ओर से तैयारी शुरू कर दी गई है।

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आमतौर पर विदेशी पर्यटक होटलों में रहते हैं। यहां की मलिन बस्तियों में रहने वालों की तस्वीर ले जाकर उसे अपने देश में दिखाते हैं। इससे देश के बारे में गलत धारणा बनती है। इसे दूर करने के उद्देश्य से बाघंबरी गद्दी की ओर से कुछ विदेशी पर्यटकों को होटल के बजाय घर में उनके परिवार के सदस्य की तरह रहने की योजना बनाई गई है।

दो हफ्ते तक रहेंगे साथ

एक व्यक्ति दो हफ्ते तक दूसरे के यहां रहेगा। इस दौरान वह तीज, त्योहार, खाने-पीने, धर्म संस्कृति, योग, पूजा के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। विदेशी जिस घर में रुकेंगे वहां रोज सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा।

इन्होंने भरी हामी

कई विदेशी भक्तों ने घरों में रहने के लिए हामी भी भर दी है। इसमें करीटी भाई पटेल लंदन, जान रिचर्ड वाशिंगटन, मरिया वर्मिघम, गेरी स्काटलैंड, दीपेंद्र आहूजा जर्मनी, हींडा इंग्लैंड, रोजर कनाडा, थामस डिसूजा जर्मनी, जार्ज कैरी वाशिंगटन, मैरी स्टीवर्ट जापान आदि शामिल हैं।

दिलों को जोड़ने का प्रयास

बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य स्वामी आनंद गिरि बताते हैं कि यह दिलों को जोड़ने का प्रयास है। भारतीय संस्कृति दुनिया में श्रेष्ठ है, लोग इसमें जीना चाहते हैं परंतु परिचय के अभाव में ऐसा नहीं कर पाते। इसी कारण विदेशी भक्तों को हमने अपने यहां के भक्तों के यहां ठहराने का फैसला किया है। यह दिलों व संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास है।इलाहाबाद। मारिया साड़ी पहनकर कजरी पर ठुमका लगाएंगी। थामस के दिन की शुरुआत पूजा से होगी, गेरी समोसा व मठरी बनाना सीखेंगी। यह किसी फिल्म की कहानी नहीं है, बल्कि महाकुंभ में आने वाले विदेशी इसे स्वयं अपनाएंगे। वह होटलों में रहकर कोई मौज-मस्ती नहीं करेंगे और न ही मलिन बस्तियों की फोटो खींचकर अपने देश ले जाएंगे। इस बार वह यहां से भारतीय व्यंजन, संस्कृति, पहनावा, खेल-कूद, गीत-संगीत को अपने साथ लेकर जाएंगे। इसके लिए वह होटलों की बजाय लोगों के घरों में ठहरेंगे। घर के सदस्य की तरह वह उनके काम में हाथ बटाएंगे। फिर यहां के लोग उनके देश जाकर उनकी संस्कृति से रूबरू होंगे। इसको लेकर मठ बाघंबरी गद्दी की ओर से तैयारी शुरू कर दी गई है।

आमतौर पर विदेशी पर्यटक होटलों में रहते हैं। यहां की मलिन बस्तियों में रहने वालों की तस्वीर ले जाकर उसे अपने देश में दिखाते हैं। इससे देश के बारे में गलत धारणा बनती है। इसे दूर करने के उद्देश्य से बाघंबरी गद्दी की ओर से कुछ विदेशी पर्यटकों को होटल के बजाय घर में उनके परिवार के सदस्य की तरह रहने की योजना बनाई गई है।

दो हफ्ते तक रहेंगे साथ

एक व्यक्ति दो हफ्ते तक दूसरे के यहां रहेगा। इस दौरान वह तीज, त्योहार, खाने-पीने, धर्म संस्कृति, योग, पूजा के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। विदेशी जिस घर में रुकेंगे वहां रोज सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा।

इन्होंने भरी हामी

कई विदेशी भक्तों ने घरों में रहने के लिए हामी भी भर दी है। इसमें करीटी भाई पटेल लंदन, जान रिचर्ड वाशिंगटन, मरिया वर्मिघम, गेरी स्काटलैंड, दीपेंद्र आहूजा जर्मनी, हींडा इंग्लैंड, रोजर कनाडा, थामस डिसूजा जर्मनी, जार्ज कैरी वाशिंगटन, मैरी स्टीवर्ट जापान आदि शामिल हैं।

दिलों को जोड़ने का प्रयास

बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य स्वामी आनंद गिरि बताते हैं कि यह दिलों को जोड़ने का प्रयास है। भारतीय संस्कृति दुनिया में श्रेष्ठ है, लोग इसमें जीना चाहते हैं परंतु परिचय के अभाव में ऐसा नहीं कर पाते। इसी कारण विदेशी भक्तों को हमने अपने यहां के भक्तों के यहां ठहराने का फैसला किया है। यह दिलों व संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास है।

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