उदासी का उजाला
दुख और विषाद से जितना भागो, वे सताते हैं। इन भावनाओं से मित्रता करो, तो ये भावनाएं अच्छी मित्र बनकर सुख का उजाला ले आती हैं। ओशो का चिंतन..
उदासी, चिंता, क्रोध, क्लेश, हताशा और दुख जैसी भावनाओं के साथ एकमात्र समस्या यह है कि तुम इन सबसे छुटकारा पाना चाहते हो।
तुम्हें इनके साथ जीना होगा। तुम इनसे भाग नहीं सकते। यही वे सारी परिस्थितियांहैं, जिनमें जीवन केंद्रित होता है। जिसमें जीवन का विकास होता है। यही तो जीवन की चुनौतियां हैं। इन्हें स्वीकार करो। ये छिपे हुए वरदान हैं। अगर तुम इन सबसे पलायन करना चाहते हो और किसी भी तरह इनसे छुटकारा पाना चाहते हो, तब समस्या खड़ी होती है। क्योंकि जब तुम किसी भी चीज से छुटकारा पाना चाहते हो, तब तुम उसे सीधा नहीं देख सकते। तब वे चीजें तुमसे छिपनी शुरू हो जाती हैं, क्योंकि तुम उनकी निंदा करते हो। तब ये सारी चीजें तुम्हारे मन के किसी अंधेरे तहखाने में छिप जाती हैं, जहां तुम इन्हें देख नहीं सकते। वे तुम्हारे भीतर के किसी अनजाने कोने से कार्य करने लगती हैं। तब तुम बिल्कुल असहाय हो जाते हो।
पहली बात तो यह है कि कभी किसी भावना का दमन मत करो। जो जैसा भी है, वह वैसा ही है। इसे स्वीकार करो। इन्हें आने दो। अपने सामने प्रकट होने दो। इन भावनाओं के साथ मित्रता करो। जैसे कि तुम्हें विषाद का अनुभव हो रहा है, तो उससे मैत्री करो। इसके प्रति अनुग्रहीत बनो। उसका आलिंगन करो। उसके साथ बैठो। उससे मित्रता करो। उससे प्रेम करो। विषाद भी सुंदर है। तुमसे यह किसने कहा कि विषाद में कुछ गलत है? यह सोचो कि प्रसन्नता केवल त्वचा तक ही जाती है, पर विषाद हड्डियों के भीतर तक जाता है, मांस-मज्जा तक। विषाद से गहरा कुछ भी नहीं।
इसलिए चिंता मत करो। उसके साथ रहो। तुम विषाद पर सवार होकर स्वयं के बारे में कुछ नई बातें भी जान सकते हो, जो पहले नहीं जानते थे। वे बातें सुख की अवस्था में कभी उजागर नहीं हो सकती थीं। अंधेरा भी अच्छा है। अस्तित्व में केवल दिन ही नहीं है, रात भी है। सभी से मैत्री करने के इस रवैये को मैं धार्मिक कहता हूं।
यदि कोई व्यक्ति धैर्यपूर्वक उदास हो सके, तो वह पाएगा कि एक सुबह उसके हृदय के अनजाने श्चोत से प्रसन्नता की रसधारा बहने लगी है। इसे तुम भी अर्जित कर सकते हो, अगर तुम सच में ही आशाहीन, निराश, दु:खी और दयनीय हो। इस तरह, जैसे तुम नर्क भोगकर आए हो और तुमने स्वर्ग का अर्जन कर लिया।
जीवन का सामना करो, मुकाबला करो। मुश्किल क्षण भी होंगे, पर एक दिन तुम देखोगे कि उन मुश्किल क्षणों ने भी तुमको अधिक शक्ति दी, क्योंकि तुमने उनका सामना किया। यही इन भावनाओं का उद्देश्य है। मुश्किल क्षणों से गुजरना बहुत कठिन है, पर बाद में तुम देखोगे कि उन्होंने तुम्हें ज्यादा केंद्रित बनाया।
अभिव्यक्त करना तुम्हारे जीवन का बुनियादी नियम होना चाहिए। इससे अगर पीड़ा भी मिले, तो सहो। यह पीड़ा तुम्हें जीवन को और भी आनंद लेने के लिए समर्थ बनाती है।
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