रामलला का तिरपाल बदलने की इजाजत
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में रामलला का पुराना पड़ चुका तिरपाल, पन्नी और रस्सियां बदलने की इजाजत दे दी है। शीर्ष अदालत ने जन्मभूमि क्षेत्र में निगरानी के लिए नियुक्त पर्यवेक्षकों को मुक्त करने का इलाहाबाद हाई कोर्ट का अनुरोध खारिज कर दिया।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में रामलला का पुराना पड़ चुका तिरपाल, पन्नी और रस्सियां बदलने की इजाजत दे दी है। शीर्ष अदालत ने जन्मभूमि क्षेत्र में निगरानी के लिए नियुक्त पर्यवेक्षकों को मुक्त करने का इलाहाबाद हाई कोर्ट का अनुरोध खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति आफताब आलम और रंजना प्रकाश देसाई की पीठ ने सोमवार को फैजाबाद के कमिश्नर की अर्जी मंजूर कर ली। इस अर्जी में रामलला का पुराना पड़ चुका तिरपाल, पन्नी और रस्सियां बदलने की इजाजत मांगी गई थी। पीठ ने कहा कि ये चीजें उतनी बड़ी और वैसी ही गुणवत्ता की होनी चाहिए जैसी पहले थीं। पीठ ने निर्देश दिया कि ये चीजें पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में बदली जाएंगी। कोर्ट ने हालांकि फैजाबाद के कमिश्नर की मामले में पक्षकार बनाए जाने की मांग खारिज कर दी।
अयोध्या में विवादित राम जन्मभूमि परिसर में निगरानी के लिए पर्यवेक्षक के तौर पर तैनात अपने दो न्यायिक अधिकारियों को जिम्मेदारी से मुक्त करने का इलाहाबाद हाई कोर्ट का अनुरोध सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट का कहना था कि मामले में फैसला (हाई कोर्ट से) आ चुका है ऐसे में उसके न्यायिक अधिकारी मुक्त कर दिए जाने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हाई कोर्ट के 26 मार्च, 2003 के आदेश के मुताबिक पर्यवेक्षक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते रहेंगे। दोनों पर्यवेक्षक (टीएम खान व एसके सिंह) मामले में सुप्रीम कोर्ट के 9 मई, 2011 के यथास्थिति कायम रखने के आदेश की निगरानी करेंगे। पीठ ने इससे पहले कहा था कि दोनों पर्यवेक्षक सुनिश्िचत करेंगे कि मामले में यथास्थिति कायम रहे। इस पर रामलला के निकट मित्र (मामले के एक पक्षकार) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने यथास्थिति सुनिश्चित करने की बात आदेश में दर्ज करने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि 1951 से लेकर आज तक किसी भी पक्ष ने यथास्थिति में छेड़छाड़ की शिकायत नहीं की है। विशेषतौर पर इस शब्द को शामिल करने से परेशानी हो सकती है क्योंकि यह मामला संवेदनशील है। उनकी दलील पर कोर्ट ने शब्दों का थोड़ा हेरफेर कर आदेश में कहा कि दोनों पर्यवेक्षक यथास्थिति के आदेश की निगरानी करेंगे।
सोमवार को सुनवाई के दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने राम जन्मभूमि स्थान पर मूलभूत सुविधाओं की कमी का मुद्दा उठाया। उन्होंने पीठ से इस मसले पर लंबित उनकी अर्जी पर भी सुनवाई करने का अनुरोध किया। पीठ ने बाद में अर्जी पर सुनवाई करने की सहमति जताई।
राम जन्मभूमि मामले में दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती ही है। हाई कोर्ट ने जन्मभूमि विवाद का हल देते हुए विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था।
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