गंगा के लिए एक संकल्प
काशीवासी गंगा तट पर पहुंचे थे। सबका लक्ष्य एक था और संकल्प भी एक..भारतीय संस्कृति की जीवन रेखा मां गंगा की निर्मलता-अविरलता किंतु तपस्या करने के तरीके अलग-अलग थे।
बनारस। काशीवासी गंगा तट पर पहुंचे थे। सबका लक्ष्य एक था और संकल्प भी एक..भारतीय संस्कृति की जीवन रेखा मां गंगा की निर्मलता-अविरलता किंतु तपस्या करने के तरीके अलग-अलग थे। किसी ने उपवास रखकर तपस्या की तो कोई हर-हर गंगे, जय-जय गंगे का नारा लगाकर। कहीं भजन-कीर्तन हुआ तो कहीं गंगा पर आधारित नृत्य नाटिका का मंचन। किसी ने हनुमान चालीसा का पाठ किया तो किसी ने मानस गान व भागवत कथा का सुमिरन। महाअनुष्ठान चल ही रहा था कि प्रमोद मांझी अपनी नाव से शंकराचार्य घाट के मध्य गंगा में पहुंचा और शरीर पर रस्सी से पत्थर बांधकर जल समाधि के लिए छलांग लगाने की तैयारी करने लगा, तभी वहां से नौका लेकर गुजर रहे अन्य नाविकों की नजर उस पर पड़ गई और प्रमोद को किसी तरह बचा लिया गया। बाद में उसे शंकराचार्य घाट लाया गया, जहां प्रमोद स्वामी सानंद संग फूट-फूट कर रोया। इस दौरान वहां मौजूद अन्य गंगा सेवियों की आंखें भी नम हो गई। स्वामी सानंद ने प्रमोद सहित अन्य गंगा सेवियों से आग्रह किया कि वे कोई ऐसा काम न करें, जिससे अभियान की दशा-दिशा बाधित हो।
उधर मंगलवार की शाम कैथी से लगायत गढ़वाघाट तक के 108 घाट पूरी तरह मां जाथ्वी की आराधना-साधना के नाम रही। सुरसरि की अविरलता-निर्मलता के निमित्त चल रहे अभियान के 108 दिन पूरे होने के अवसर पर माला के 108 मनकों की तरह गूंथे गए महाअनुष्ठान का नियंत्रण माला के सुमेरु मनके के रूप में प्रतिष्ठित शंकराचार्य घाट से हुआ। घड़ी की सुई के शाम पांच पर पहुंचने से काफी समय पूर्व ही गंगा प्रेमी अस्सी से लेकर आदिकेशव के मध्य के घाटों पर पहुंच गए थे। रात आठ बजे तक घाटों पर अलग-अलग धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए। इस अनूठे अनुष्ठान में सामाजिक, धार्मिक व सांस्कृतिक संगठनों के सदस्यों ने अपनी सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित की।
उपवास व अनुष्ठान पर नजर रखने के लिए गंगा अभियानम के सार्वभौम संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद संग स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद घाटों पर नौका से भ्रमण करते रहे। गंगा अभियान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अस्सी से आदिकेशव घाट तक लगाए गए ध्वनिविस्तारक यंत्र से स्वामी जी काशीवासियों को तपस्या और अनुष्ठान के उद्देश्यों से भी अवगत कराते रहे। गंगा सेवियों ने भी एकस्वर से मां की अविरलता सुनि›ित होने तक अभियान जारी रखने का अपना संकल्प दोहराया। इस दौरान घाटों पर सफाई व प्रकाश का मुकम्मल प्रबंध किया गया था। सोमवार को ब्रह्मचारी कृष्णप्रियानंद की देखरेख में श्रीविद्यामठ के बटुकों ने विभिन्न घाटों पर उपवास की कमान संभालने वाले जिन संगठनों के सदस्यों को ध्वज प्रदान कर स्वीकृति दी थी, वे सभी आज ध्वज संग गंगा तट पर पहुंचे।
शंकराचार्य घाट पर उपवास व अनुष्ठान में विधायक द्वय अजय राय व ललितेश त्रिपाठी, राकेश चंद्र पाण्डेय, हरेंद्र राय, संजय पाण्डेय, प्रजा नाथ शर्मा, राजेन्द्र तिवारी, गिरीशचंद्र तिवारी, प्रभुनाथ पाण्डेय, यतींद्र चतुर्वेदी, अतहर जमाल लारी, राजीव सिंह, सोमनाथ ओझा, वागीशदत्त शास्त्री, नरेन्द्र राम त्रिपाठी व रमेश चोपड़ा आदि ने भाग लिया।
मानव जागृति सेवा समिति के सदस्यों व पदाधिकारियों ने मुंशी घाट पर तीन घंटे तक उपवास रखा। इसमें अनिल सिंह, श्रीनाथ पाल, वेद प्रकाश पाठक, अशोक सिंह आदि ने भाग लिया। वन्देमातरम् संघर्ष समिति के सदस्यों ने अस्सी घाट पर बजड़े पर धरना दिया। धरने में अमित तिवारी, जय धारिया, विश्वास तिवारी, अनूप जायसवाल, अवनीश पाण्डेय, खालिद अहमद ने भाग लिया। राष्ट्रीय समाजवादी जनक्रान्ति पार्टी के सदस्यों ने राजेन्द्र प्रसाद घाट पर धरना दिया। धरने में एस.एल.ठाकुर, रमाकांत त्रिपाठी, प्रमोद पाण्डेय आदि ने भाग लिया।
आदर्श भारतीय संघ के कार्यकर्ताओं ने छितौनी से मस्जिदिया घाट तक पदयात्रा निकाली। यात्रा में संजय चौबे, दिनेश तिवारी, रामाश्रय पटेल अहमद भाई आदि की भागीदारी रही। रामनगर प्रतिनिधि के अनुसार मां गंगा दैनिक आरती सेवा समिति के संचालक श्रीनारायण द्विवेदी के नेतृत्व में लोगों ने घाटों पर शिव व हनुमान चालीसा का पाठ किया।
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