घाट पर कैसे आएगी गंगा की धारा
तीर्थनगरी की हृदयस्थली कहे जाने वाले त्रिवेणी घाट से गंगा लगातार दूर होती जा रही है। गंगा की धारा को घाट पर लाने के कई प्रयास किए गए मगर, स्थाई समाधान आज तक नहीं हो पाया।
ऋषिकेश। तीर्थनगरी की हृदयस्थली कहे जाने वाले त्रिवेणी घाट से गंगा लगातार दूर होती जा रही है। गंगा की धारा को घाट पर लाने के कई प्रयास किए गए मगर, स्थाई समाधान आज तक नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद गंगा को त्रिवेणी घाट पर लाने के स्थाई समाधान की ओर कवायद तेज होने लगी है। सिंचाई विभाग ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजने के साथ ही सिंचाई अनुसंधान संस्थान रुड़की को योजना की मॉडल स्टडी के लिए प्रस्ताव भेजा है
मानसून में गंगा का जलस्तर बढ़ते ही गंगा तीर्थनगरी के घाटों को भी लील जाती है। मगर, मानसून के बाद जैसे ही गंगा का जलस्तर घटना शुरू होता है त्रिवेणी घाट से गंगा दूर होने लगती है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी गंगा की घाट से दूरी श्रद्धालुओं को सालने लगती है। असल वजह यह है कि बरसात के दिनों बाढ़ के साथ बहकर आने वाला उप खनिज त्रिवेणी घाट की ओर जमा हो जाता है। जिससे जलस्तर कम होने पर यह उप खनिज एक टापू का रूप ले लेता है। विगत वर्षो में गंगा की धारा को घाट पर लाने के लिए सामाजिक संस्थाओं और सिंचाई विभाग द्वारा तमाम प्रयास किए गए। मगर, यह प्रयास स्थाई नहीं हो पाए। कुछ दिन पूर्व ऋषिकेश पहुंचे सूबे के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने गंगा को घाट पर लाने के लिए स्थाई योजना तैयार करने की घोषणा की। जिसके बाद स्थाई समाधान के लिए सिंचाई विभाग ने कवायद तेज कर दी है। सीएम की घोषणा के पश्चात जिलाधिकारी देहरादून ने मौका मुआयना कर अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए थे।
त्रिवेणी घाट पर गंगा की धारा को लाने के लिए योजना तैयार की जा रही है। इसका स्थाई समाधान क्या होगा यह मॉडल स्टडी के बाद ही साफ हो पाएगा। फिलहाल इस संबंध में सिंचाई अनुसंधान संस्थान रुड़की को प्रस्ताव भेजा गया है। इस संबंध में पहले भी शासन को प्रस्ताव भेजा गया था मगर, इस संबंध में सीएम की घोषणा होने के बाद जल्द ही स्थाई समाधान की उम्मीद है।
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