महाकुंभ: श्रद्धालुओं की मौत के मामले में जवाब-तलब
इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में मौतों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने केंद्र व राज्य सरकार सहित रेलवे विभाग से सुरक्षा व व्यवस्था के बावत जवाब तलब किया है।
लखनऊ। इलाहाबाद रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में मौतों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने केंद्र व राज्य सरकार सहित रेलवे विभाग से सुरक्षा व व्यवस्था के बावत जवाब तलब किया है। अदालत ने पूछा है कि मौनी अमावस्या के दिन आने वाली लाखों की भीड़ को नियंत्रित करने की क्या व्यवस्था की गई थी। पीठ ने जानना चाहा है कि इतने बड़े हादसे में किसकी गलती थी।
अदालत ने साथ ही सुरक्षा व्यवस्था के लिए की गई प्रशासनिक बैठकों में लिए गए फैसलों की जानकारी भी तलब की है। पीठ ने कुंभ मेले से संबंधित राज्य सरकार, रेलवे व केंद्र सरकार द्वारा किए गए उपायो व व्यवस्था से संबंधित ब्योरा सीलबंद कर पीठ के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी।
यह आदेश वरिष्ठ न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह व न्यायमूर्ति वीके माथुर की खंडपीठ ने याची प्रिंस लेनिन द्वारा दायर जनहित याचिका पर दिए हैं। याची ने दैनिक जागरण समाचार पत्र सहित अनके हिंदी-अंग्रेजी समाचारपत्रों में प्रमुखता से छपे समाचारों को जनहित याचिका का आधार बनाते हुए पूरे मामले की निष्पक्ष व न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की है। यह भी मांग की गई है कि जो लोग अथवा अधिकारी दोषी हो, उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कर कार्रवाई की जाए। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि मेला समिति ने भी पूर्व में गठित जस्टिस कमलकांत वर्मा समिति की सिफारिशों व दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया तथा इस समिति द्वारा तय किए गए दिशा निर्देशों की अनदेखी की गई। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि जब पहले से संभावना थी कि मौनी अमावस्या के अवसर पर कुंभ स्नान के लिए लाखों लोग आ सकते हैं तो रेलवे विभाग, राज्य सरकार व मेला समिति ने इसकी व्यवस्था सुचारू रूप से क्यों नहीं की। सुनवाई के समय पूर्व में महंत राजेंद्र दास की ओर से दायर याचिका पर अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने पीठ को बताया कि उन्होंने पहले ही नवंबर माह में याचिका दायर कर कहा था कि कुंभ मेले के मद्देनजर, यातायात, प्रशासनिक व्यवस्था, मेले में आने वाले लोगों की सुरक्षा आदि की उचित व्यवस्था नहीं की गई है। इस पर अदालत ने 11 नवंबर को सचिव धर्मार्थ नवनीत सहगल को तलब किया था। अधिवक्ता रंजना ने बताया कि नवनीत सहगल ने पीठ को आश्र्वासन दिया था कि मेले में सभी व्यवस्थाएं ठीक कर दी गई है। राज्य सरकार की ओर से याचिका का विरोध कर कहा गया कि याचिका लखनऊ पीठ के क्षेत्राधिकार में नहीं आती। इस बात को पीठ ने खारिज करते हुए कहा कि जब सारी प्रशासनिक बैठकें व तैयारियां राजधानी लखनऊ में हुई तो याचिका लखनऊ में पोषणीय क्यों नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी।
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