गंगा अभियान: दो तपस्वी जाएंगे दिल्ली
अविरल गंगा के लिए मंडलीय अस्पताल में तपस्यारत दो तपस्वी दिल्ली जाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने अपनी इच्छा जाहिर करेंगे और उसे पूरा होने तक वे दिल्ली में ही अपनी तपस्या जारी रखेंगे।
वाराणसी। अविरल गंगा के लिए मंडलीय अस्पताल में तपस्यारत दो तपस्वी दिल्ली जाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने अपनी इच्छा जाहिर करेंगे और उसे पूरा होने तक वे दिल्ली में ही अपनी तपस्या जारी रखेंगे। दिल्ली रवाना कब होंगे और वहां किस स्थान पर तपस्या करेंगे, इसका निर्णय मंगलवार को किया जाएगा।
यह जानकारी सोमवार को मंडलीय अस्पताल में तपस्यारत संतों से मिलने के बाद गंगा मुक्ति महासंग्राम के राष्ट्रीय संयोजक और कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम् ने दी। नगर में अली-डे के अवसर पर नागरी नाटक मंडली में आयोजित सर्वधर्म गंगा संगोष्ठी में हिस्सा लेने के बाद आचार्य प्रमोद कृष्णम् तपस्वियों के स्वास्थ की जानकारी लेने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के साथ मंडलीय अस्पताल पहुंचे थे। अस्पताल में तपस्यारत ब्रंाचारी कृष्णप्रियानंद और बाबा नागनाथ ने उनसे कहा कि वे सोनिया गांधी के समक्ष अपनी अंतिम इच्छा रखना चाहते हैं। तर्क यह था कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का सपना गंगा को अविरल-निर्मल बनाना था। यह तपस्या भी प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से उनके सपनों को साकार करने को लेकर ही है। लिहाजा अपनी बात अब सोनिया गांधी केसामने रखने की इच्छा है और मांग पूरी होने तक वहीं दिल्ली में ही आगे की तपस्या जारी रखना चाहते हैं। तपस्वियों की इच्छा का सम्मान करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वारनंद ने दिल्ली जाने की स्वीकृति प्रदान कर दी। बताया कि दो तपस्वी कब और कैसे जाएंगे इस बाबत मंगलवार को आचार्य प्रमोद कृष्णम् और जिला प्रशासन से वार्ता करने के बाद निर्णय किया जाएगा। इसके पूर्व आचार्य प्रमोद कृष्णम् अस्पताल में साध्वी पूर्णाबा, साध्वी शारदांबा, गंगाप्रेमी, संन्यासी योगेश्वरानंद से मिले और स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त की।
दूसरी तरफ, तपस्वियों की दशा देखने के बाद आचार्य प्रमोद कृष्णम् काफी भावुक नजर आए और कहा कि यदि इन तपस्वियों को कुछ होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री और पर्यावरण मंत्री की होगी। समझ में नहीं आ रहा है कि यह सरकार चाहती क्या है। एक तरफ प्रधानमंत्री अपना दूत भेजते हैं। कहते हैं कि सरकार गंगा के लिए चिंतित है। दूसरी तरफ निर्णय लेते समय उसकी इच्छाशक्ति जवाब दे जाती है। कहा कि तपस्वियों की दशा और सरकार की चुप्पी को देखने के बाद यही कहा जा सकता है कि गंगा के संदर्भ में सरकार की नीति तो गलत थी ही नीयत में भी खोट नजर आने लगा है। लिहाजा अब देश भर के साधु-संतों, सामाजिक संगठनों के साथ ही तपस्वी भी दिल्ली जाएंगे और आरपार की बात करेंगे।
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