विस्फोटों से आदिबदरी मंदिर समूह को भी खतरा
बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण कार्य के लिए किए जा रहे डाइनामाइट विस्फोटों से बसुधारा प्रपात को तो क्षति पहुंची ही है, अब इससे मात्र दो सौ मीटर दूर पौराणिक धरोहर आदिबदरी के मंदिर समूह पर भी खतरा मंडराने लगा है।
गोपेश्वर। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण कार्य के लिए किए जा रहे डाइनामाइट विस्फोटों से बसुधारा प्रपात को तो क्षति पहुंची ही है, अब इससे मात्र दो सौ मीटर दूर पौराणिक धरोहर आदिबदरी के मंदिर समूह पर भी खतरा मंडराने लगा है। इस समूह मे 16 मंदिर शामिल हैं। हैरत यह है कि मीडिया में मामला उछलने के बावजूद जिला प्रशासन अनिभिज्ञ बना हुआ है। चमोली के जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन ने कहा फिलहाल इस बारे में कोई शिकायत नहीं मिली है। अगर शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी। चमोली जिले के आदिबदरी मंदिर समूह की पौराणिक महत्ता किसी से छिपी नहीं है। 16 मंदिरों का समूह की देखभाल पुरातत्व विभाग करता है। हालांकि इनमें से तीन मंदिर पहले से ही क्षतिग्रस्त हैं, लेकिन शेष मंदिरों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दरअसल, इन दिनों कर्णप्रयाग से गैरसैंण के बीच सड़क चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। इसके लिए इस्तेमाल किए जा रहे भारी विस्फोटों से न केवल मंदिर समूह की जड़ें तक हिल गयी है, बल्कि पास के ही पौराणिक ताड़छिड़ा बसुधारा जल प्रपात का प्रवाह भी कम हो गया है। इस जल धारा को लेकर लोगों में प्रबल आस्था है। विस्फोटों से हुए नुकसाने के कारण इससे आसपास के गांव में आक्त्रोश फैल रहा है। बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल चिंता व्यक्त करते हुए कहते हैं चांदपुरगढ़ी के राजा प्रतिदिन श्री बदरीनाथ जी के दर्शन आदिबदरी धाम में करते थे। आदिबदरी यहां के धार्मिक स्थलों में महत्वपूर्ण है। आदिबदरी जैसे मंदिर समूह देवभूमि में कम ही हैं। इस अदभुत धरोहर का संरक्षण को लेकर सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।
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