..और द्रविड़ ने फेंक दी कुर्सी
राहुल द्रविड़ ने कुर्सी उठाकर फेंकी। सुनने में अटपटा लगेगा लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम के मिस्टर कूल ने एक बार टीम की शर्मनाक हार के बाद ऐसा ही किया था। पिछले सप्ताह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले द्रविड़ की पत्नी विजेता ने उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को एक लेख में उजागर किया है।
नई दिल्ली। राहुल द्रविड़ ने कुर्सी उठाकर फेंकी। सुनने में अटपटा लगेगा लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम के मिस्टर कूल ने एक बार टीम की शर्मनाक हार के बाद ऐसा ही किया था। पिछले सप्ताह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने वाले द्रविड़ की पत्नी विजेता ने उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को एक लेख में उजागर किया है।
विजेता ने कहा कि इतने साल में द्रविड़ ने कभी आपा नहीं खोया लेकिन एक बार वह खुद पर नियंत्रण नहीं रख सके। उन्होंने कहा, मुझे याद है कि एक बार वह टेस्ट से लौटे और कहा कि मुझे आज बहुत गुस्सा आया। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। उन्होंने कुछ और नहीं कहा। कई महीनों बाद वीरू [सहवाग] ने मुझे बताया कि मुंबई में इंग्लैंड से हारने के बाद उन्होंने कुर्सी उठाकर फेंक दी थी। इसलिए नहीं कि टीम हारी बल्कि इसलिए कि टीम बुरी तरह हारी थी। विजेता ने कहा कि राहुल को 2007-08 तक खेलने की उम्मीद थी लेकिन उनका समर्पण, जुनून और फिटनेस रूटीन की वजह से वह 2012 तक खेल सके।
विजेता ने एक क्रिकेट वेबसाइट के लिए लिखे लेख में कहा, हमारी शादी के बाद मुझे याद है कि उन्होंने कहा था कि वह अगले तीन या चार साल तक खेलेंगे। उन्होंने मुझसे इतने समय तक सहयोग की अपेक्षा जताई थी। अब वह संन्यास ले चुके हैं लेकिन मुझे खुशी है कि तीन चार साल नहीं बल्कि वो कहीं ज्यादा वह खेले। उन्होंने कहा, किसी भी दौरे से पहले मैं उनके सारे बैग पैक करती थी लेकिन क्रिकेट किट को नहीं छूती थी। वह ही उसे पैक करते थे। मुझे पता था कि यदि मैं कैजुअल कपड़ों के दो जोड़े भी रखूंगी तो पूरे दौरे पर वह बदलकर पहन लेंगे और इसके बारे में सोचेंगे भी नहीं। वह 20 साल से एक ही तरह की माइस्चराइजर इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि उनकी त्वचा सूख जाती है।
विजेता ने कहा, वह गैजेट, घडि़यों, कोलोन या कारों के शौकीन नहीं हैं। लेकिन उनके बल्ले का वजन एक ग्राम भी कम हो जाएगा तो उन्हें पता चल जाएगा और वह तुरंत इसे ठीक करेंगे। उन्होंने लिखा, लोग मुझसे हमेशा पूछते हैं कि इतनी शोहरत मिलने के बावजूद राहुल सामान्य आदमी की तरह कैसे रहते हैं। मुझे लगता है कि मध्यमवर्गीय परिवार में पलने बढ़ने से ऐसा है। यह उनके संस्कार में है। इसके अलावा उनके कुछ पुराने और मजबूत दोस्त भी हैं जिसकी वजह से वह जमीन से जुड़े रहे हैं।
इतने साल द्रविड़ के साथ यात्रा करने वाली विजेता ने बताया कि अपनी तैयारियों को लेकर वह काफी समर्पित रहते हैं। उन्होंने लिखा, जब मैं पहली बार 2003-04 में उनके साथ आस्ट्रेलिया गई तो मैंने देखा कि वह कैसे मैच की तैयारी करते हैं। वह घंटों छद्म अभ्यास करते रहते थे। एक बार तो मुझे लगा कि वह नींद में चल रहे हैं। विजेता ने यह भी लिखा, क्रिकेट के मैदान पर चाहे जो हो, घर पर वह पति हैं, पिता हैं और परिवार को समर्पित हैं। उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि आज का दिन खराब था। वह पूछने पर ही अपने खेल के बारे में बोलते हैं।
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