वाह लंका, बिना पेमेंट फाइनल तक पहुंचे
बेशक श्रीलंका ने सीबी सीरीज में ढीली शुरुआत की, बेशक उन्होंने भारत के खिलाफ लीग मैच में 321 रन बनाने के बावजूद बुरी तरह हार का सामना किया हो लेकिन फिर भी आज वे फाइनल में हैं और इसका पूरा श्रेय श्रीलंकाई खिलाडि़यों को ही जाता है। यह तारीफ सिर्फ उनकी मेहनत के लिए नहीं है बल्कि उस जज्बे के लिए भी है जिसने उन्हें तकरीबन एक साल का पेमेंट [वेतन] ना मिलने के बावजूद खेलने के लिए प्रेरित किया।
मेलबर्न। बेशक श्रीलंका ने सीबी सीरीज में ढीली शुरुआत की, बेशक उन्होंने भारत के खिलाफ लीग मैच में 321 रन बनाने के बावजूद बुरी तरह हार का सामना किया हो लेकिन फिर भी आज वे फाइनल में हैं और इसका पूरा श्रेय श्रीलंकाई खिलाडि़यों को ही जाता है। यह तारीफ सिर्फ उनकी मेहनत के लिए नहीं है बल्कि उस जज्बे के लिए भी है जिसने उन्हें तकरीबन एक साल का पेमेंट [वेतन] ना मिलने के बावजूद खेलने के लिए प्रेरित किया।
जी हां, 2011 विश्व कप से लेकर अब तक श्रीलंकाई खिलाडि़यों को उनका भुगतान नहीं किया गया है। ट्राई सीरीज की रकम के अलावा यह रकम अब तकरीबन 50 लाख डॉलर के करीब पहुंच चुकी है लेकिन खिलाडि़यों की मेहनत देखने के बाद भी श्रीलंकाई बोर्ड उन पर मेहरबान नहीं हुआ। यह जयवर्धने के धुरंधरों की देश भावना ही कही जाएगी कि इसके बावजूद वह मैदान पर उतर रहे हैं और जमकर प्रदर्शन भी कर रहे हैं।
यूं तो श्रीलंका क्रिकेट संघ के मुख्य सचिव केन डी एल्विस ने अपनी सफाई में कहा है कि वह इस मसले से अच्छी तरह वाकिफ हैं और सोमवार तक खिलाडि़यों के खाते में पैसा पहुंच जाएगा लेकिन यह भुगतान भी 31 जनवरी तक के लिए ही होगा यानी ट्राई सीरीज के शानदार प्रदर्शन के बावजूद इस सीरीज का वेतन खिलाडि़यों को तुरंत नहीं मिलने वाला। वहीं श्रीलंका क्रिकेट संघ भी अपनी इस लापरवाही और बेबसी से शर्मिंदा हैं और उन्होंने भी कहा कि श्रीलंकाई टीम ने जितनी बड़ी मिसाल जीत हासिल करके पेश की है उससे कहीं बड़ी मिसाल बिना पेमेंट के खेलते हुए पेश कर डाली है। जाहिर है कि यह किसी भी खिलाड़ी के लिए एक मुश्किल फैसला होगा और वाकई लंकाई चीतों ने दुनिया भर में एक संदेश भेजा है। उम्मीद है कि करोड़ों में खेलने वाले हमारे भारतीय क्रिकेटर इस श्रीलंकाई टीम से कुछ सीख लेने की कोशिश जरूर करेंगे।
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