इस वैतरणी में पार लगा दे मां
दोपहर संगम के पास कुछ महिलाएं गाना गा रही थीं। गाने के बोल अंत:मन को झकझोर रहे थे। मां गंगा से जीवन की इस वैतरणी को पार करने की अपील थी। ऐसा भाव जो इस समागम में ही देखने को मिल सकता है। जब इन महिलाओं के स्नान- पूजा का क्रम समाप्त हुआ तो बातचीत शुरू की।
कुंभनगर। दोपहर संगम के पास कुछ महिलाएं गाना गा रही थीं। गाने के बोल अंत:मन को झकझोर रहे थे। मां गंगा से जीवन की इस वैतरणी को पार करने की अपील थी। ऐसा भाव जो इस समागम में ही देखने को मिल सकता है। जब इन महिलाओं के स्नान- पूजा का क्रम समाप्त हुआ तो बातचीत शुरू की। पूछा, आप लोग कहां से आई हैं.जवाब था बिहार के छपरा जिले से। कितनी संख्या है आपकी.इस पर वे बोलीं 22। यहां सेक्टर नंबर 10 के पंडाल में ये रुकी थीं। इसके बाद उनका नेतृत्व कर रही लक्ष्मी पांडेय ने बोलना शुरू किया तो कई बातें सामने आईं। कहा मां के दरबार में आए हैं। यहां आने के बाद सारी इच्छा पूरी हो गई, महाराज जी का प्रवचन रोज सुनने को मिल रहा है। एक समय का भोजन करते हैं। इस तीरथ का जो पुण्य मिलेगा वह परिवार को आगे बढ़ाएगा। प्रतिदिन विभिन्न महात्माओं के पास जाते हैं, वहां सेवा करते हैं और प्रवचन सुनकर वापस अपने बाबाजी के पास। महिलाओं के इस ग्रुप की खासियत थी कि इसमें कोई भी पुरुष इनके साथ छपरा से नहीं आया था। खैर इन महिलाओं की आस्था देखने लायक थी। इनसे मिलने के बाद सनातन संस्कृति की समृद्धि का अहसास खुद ब खुद हो रहा था।
शाम के समय कुंभ क्षेत्र में घुमने के दौरान विभिन्न महात्माओं के प्रवचन के साथ ही आरती देखने का मौका। आस्था के इस कुंभ में किस तरह से श्रद्धा के भाव उमड़ रहे थे यह साफ झलक रहा था। पंडाल में भजन के दौरान झूमते भक्त. विदेशियों का आरती करना और न जाने कितने ही ऐसे दृश्य. मन को भावविभोर करने के लिए काफी थे।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर