केदारनाथ में श्रद्धालु की मौत से मिले कटु अनुभव
प्रशासन तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लाख दावे करे, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। मध्य प्रदेश के यात्रियों का एक दल केदारनाथ से कड़वे अनुभव लेकर लौटा। यात्रा में एक साथी को गंवाने वाले इस दल ने प्रशासन की संवेदनहीनता करीब से देखी।
ऋषिकेश। प्रशासन तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लाख दावे करे, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। मध्य प्रदेश के यात्रियों का एक दल केदारनाथ से कड़वे अनुभव लेकर लौटा। यात्रा में एक साथी को गंवाने वाले इस दल ने प्रशासन की संवेदनहीनता करीब से देखी।
देवास मध्य प्रदेश से यात्रियों का एक दल केदारनाथ व बदरीनाथ धाम के दर्शन को आया था। केदारनाथ से लौटने के बाद कबीर चौरा आश्रम में पहुंचे यात्रियों ने बताया कि उनका दल बुधवार 16 मई को केदारनाथ पहुंचा। यहां अत्यंत सर्दी के कारण दल के सदस्य नरेंद्र बरोड (55 वर्ष) पुत्र शंकर लाल बरोड की तबियत बिगड़ गई। साथी यात्रियों ने आसपास मदद मांगी, लेकिन न तो शासन-प्रशासन से कोई मदद मिली और न ही स्थानीय लोग से। केदारनाथ की सीढि़यों पर ही तीर्थयात्री नरेंद्र बरोड ने दम तोड़ दिया। साथी यात्रियों ने पुलिस व प्रशासन से नरेंद्र के शव को गौरीकुंड तक पहुंचाने के लिए मदद मांगी, लेकिन कोई मदद नही मिली। अंत में किसी तरह पालकी की व्यवस्था कर वे शव को लेकर गौरीकुंड पहुंचे। यहां से भी अपने ही साधन से शव को ऋषिकेश पहुंचाया गया।
यहां लक्ष्मणझूला मार्ग स्थित कबीर चौरा आश्रम में पहुंचे यात्रियों ने केदारनाथ मंदिर में प्रशासन की व्यवस्थाओं पर नाराजगी व्यक्त की। तीर्थयात्री अखिलेश जाधव, गोविंद चावड़ा, प्रेम नारायण सोलंकी, मनोज सोलंकी व अनिल चौहान आदि ने बताया कि उन्हें केदारनाथ में मदद के नाम पर कुछ नहीं मिला। मंदिर परिसर में कोई चिकित्सक भी मौजूद नहीं था। 108 सुविधा का दावा करने वाले प्रशासन की ओर से भी कोई मदद नहीं मिली।
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