जामुन के तने में वास करती हैं मां शारदा
ऊधमपुर में गंगेड़ा की पहाडिय़ों पर स्थित मां शारदा का यह मंदिर अपनी अलौकिक ऊर्जा और अनूठे स्थापत्य से खींच रहा है पर्यटकों का ध्यान।
ऊधमपुर। ऊधमपुर में गंगेड़ा की पहाडिय़ों पर स्थित मां शारदा का यह मंदिर अपनी अलौकिक ऊर्जा और अनूठे स्थापत्य से खींच रहा है पर्यटकों का ध्यान। मां के चरणों से फूटी पवित्र जल की धारा बुझा रही हैं बरसों से श्रद्धालुओं की प्यास-
गुफा और कंदराओं में तो देवी देवताओं के अनेक स्थान मिल जाएंगे परंतु गंगेड़ा की पहाडिय़ों में एक अनूठा देवी स्थान है। मां शारदा का यह स्थान किसी मंदिर या गुफा में नहीं बल्कि जामुन के पेड़ के तने में है। विद्या की देवी मां शारदा के स्थान के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मां शारदा की नियम से आराधना करने वाले ऐसे ही एक भक्त गोपाल बताते हैं, च्च्करीब तीस वर्ष पहले बाल अवस्था में किसी अज्ञात शक्ति के वशीभूत होकर मैं गंगेड़ा की पहाडिय़ों पर बने एक जामुन के पेड़ के पास पहुंचा था। पेड़ खोखला होने के बावजूद हरा-भरा था। पेड़ के खोखले तने में से मां शारदा की प्राचीन मूर्ति मिली, जिसे देख वह समझ गया कि मां शारदा ने ही उसे यहां पहुंचाया है।
उन्होंने उसी दिन से स्थानीय लोगों के सहयोग से पेड़ के तने को संरक्षित करने के लिए मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया और मूर्ति को बचाने के लिए उसके बाहर लोहे का जंगला लगा दिया। प्राचीन मूर्ति के बारे में गोपाल ने बताया कि उन्होंने अपने पूर्वजों से सुना था कि सैकड़ों वर्ष पहले एक राजा माता की मूर्ति को लेकर गंगेड़ा की पहाडिय़ों के रास्ते श्रीनगर जा रहा था। रात होने पर सेना के साथ जामुन के पेड़ के नीचे रुक गया। राजा पेड़ के खोखले तने में मूर्ति रखकर सो गया। सुबह होने पर राजा ने सफर शुरू करने के लिए मूर्ति को उठाना चाहा, लेकिन मूर्ति अपने स्थान से नहीं हिली। राजा के साथ आए सैनिकों ने भी मूर्ति को उठाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन वे भी मूर्ति को पेड़ से अलग नहीं कर सके। इस दौरान अचानक मां के चरणों से पवित्र जल की धारा बहने लगी। यह सब देख राजा समझ गया कि मां इसी स्थान पर वास करना चाहती है। इसलिए राजा विधिवत पूजा-अर्चना कर मां शारदा का आशीर्वाद लेकर आगे बढ़ गया।
मौजूदा समय में दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचकर जामुन के पेड़ के तने में स्थित माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। वहीं पर माता की नई मूर्ति भी स्थापित की गई है।
गांव की प्यास बुझा रही पवित्र जल की धारा-
शारदा मां के चरणों से बह रही पवित्र जल की धारा सिर्फ मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की ही नहीं, बल्कि पूरे शारदा गांव की प्यास बुझाती है। शारदा मां की कमेटी के सदस्यों ने बताया कि पूरे शारदा गांव में करीब 300 परिवार रहते है। जिनके घरों में पानी की आपूर्ति मां के चरणों से बह रही पवित्र जल की धारा ही करती है।
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