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संगम तट पर पांच सितारा कल्पवास

प्रयाग राज के दरबार में कल्पवास करने के लिए अब देश दुनिया से कटे रहना, रेती में पुआल के बिछौने पर ही सोना जरूरी नहीं है। गरीबों के कुंभ में विदेशी श्रद्धालुओं व भारतीय धनाढ्य वर्ग का भी प्रवेश हो रहा है। इसने कुंभ में अब कल्पवास की व्यवस्थाएं बदल दी हैं। कुंभ 2013 में अब कल्पवास की पांच सितारा सुविधाएं उपलब्ध हैं। वह भी ठीक संगम तट पर।

By Edited By: Published: Tue, 15 Jan 2013 05:28 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2013 05:28 PM (IST)
संगम तट पर पांच सितारा कल्पवास

इलाहाबाद [एलएन त्रिपाठी]

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। प्रयाग राज के दरबार में कल्पवास करने के लिए अब देश दुनिया से कटे रहना, रेती में पुआल के बिछौने पर ही सोना जरूरी नहीं है। गरीबों के कुंभ में विदेशी श्रद्धालुओं व भारतीय धनाढ्य वर्ग का भी प्रवेश हो रहा है। इसने कुंभ में अब कल्पवास की व्यवस्थाएं बदल दी हैं। कुंभ 2013 में अब कल्पवास की पांच सितारा सुविधाएं उपलब्ध हैं। वह भी ठीक संगम तट पर।

कुंभ 2013 को लेकर हॉस्पिटालिटी इंडस्ट्री काफी सक्रिय रही है। इलाहाबाद में बेहतरीन पांच सितारा होटल उपलब्ध न होने तथा स्थानीय होटलों से संगम तट तक आवागमन के सुगम साधन न होने से इन्हें खासी परेशानी हो रही थी। प्रयाग में गंगा व यमुना के संगम तट पर होने वाले विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेले में आने वाले बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालुओं व उच्च वर्गीय भारतीयों की जरूरत को देखते हुए संगम तट पर कुंभ कुटीर, कुंभ सिटी व कुंभ नगर आदि के नाम से अलग अलग टाउनशिप ही बसाई जा रही है। वाराणसी व इलाहाबाद की कंपनियां इसमें उतर चुकी हैं। वाराणसी की एक कंपनी अरैल घाट के पास संगम तट से बमुश्किल 500 मीटर की दूरी पर खेत किराए पर लिए हैं। यहां कल्पवास के लिए कुंभ कॉटेज के नाम से डेढ़ सौ काटेज तैयार किए जा रहे हैं। इनमें डारमेट्री, डीलक्स, संगम व्यू लक्जरी और फोर्ट व्यू सूट शामिल हैं।

इनमें रहने वालों को हर वह सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है जो पांच सितारा होटल में मिलती है। परिसर में टीवी, ब्राडबैंड, स्पा, भजन, वाटर स्पोर्ट, आयुर्वेदिक मसाज, ध्यान व योग केन्द्र व भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए केन्द्र बनाए गए हैं। संगम व्यू के लिए वाच टॉवर बनाया गया है। इसमें दूरबीन की मदद से मुख्य संगम क्षेत्र का नजारा आसानी से लिया जा सकता है। इन सुविधाओं के लिए दस से पंद्रह हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करना होगा। डारमेट्री अलबत्ता सस्ती है। यह एक हजार से पंद्रह सौ रुपए प्रति बिस्तर की दर पर उपलब्ध होगी। वैसे मौनी अमावस्या के आसपास के दिनों के लिए यह सारे कॉटेज पहले से ही बुक हो चुके हैं।

अरैल से देवरख के बीच इसी तर्ज पर कई अन्य रियल एस्टेट कंपनियां भी पांच सितारा कल्पवास की व्यवस्था में उतर गईं हैं। इस समय अरैल से देवरख गांव के बीच करीब 70 बीघा खेत किराए पर लेकर अलग अलग टाउनशिप में तीन सौ से अधिक सूट तैयार किए जा रहे हैं। इसमें टेंट के साथ होटल का भी एहसास कराया जा रहा है। देवरख में एक कंपनी ऐसे 80 कॉटेज तैयार कर रही है। यहां सीमेंट की पतली पर मजबूत दीवारों व लोहे की चादरों के सहारे कुटिया तैयार की जा रही है। इनका किराया दस से बीस हजार रुपए प्रतिदिन तक है। अरैल में एक स्थानीय कंपनी कास से कुटीर बना रही है। इस कुटिया के लिए 3500 से पैंतालीस सौ रुपए प्रतिदिन किराया लिया जा रहा है। जबकि लक्जरी कमरों के लिए साढे़ बारह हजार देना होगा। दो माह तक चलने वाले कुंभ में ऐसी कंपनियां पंद्रह से बीस करोड़ रुपए की कमाई करने में सफल होंगी, ऐसा अनुमान है।

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