शहरों में..
<p>शहरों में सुबह नहीं होती एक थकाऊ शुरुआत होती है जो भीतर तक तोड देती है मनुष्य के वजूद को न ही कभी शाम होती है सिर्फ भ्रम ही होता है कार्य निवृत्ति का </p>
By Edited By: Published: Mon, 21 May 2012 03:59 PM (IST)Updated: Mon, 21 May 2012 03:59 PM (IST)
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें