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स्वर्ण हिण्डोले में आज झूलेंगे बिहारी

ब्रज में सावन का सर्वाधिक आनंद हरियाली तीज देती है। इसके आते ही नगर में भक्ति की नई सुगंध फैलने लगती है। विभिन्न देवालयों में इस दिन से झूलनोत्सव प्रारम्भ हो जाता है। ठा. बांके बिहारी भी स्वर्ण-रजत हिण्डोले में झूलेंगे। इस दौरान उनकी एक छवि देखने को श्रद्धालु दूर-दूर से वृन्दावन में आ रहे हैं। बिहारी जी के इस हिण्डोले की कीमत वर्तमान में लगभग 10 करोड़ रुपये है।

By Edited By: Published: Sun, 22 Jul 2012 03:06 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2012 03:06 PM (IST)
स्वर्ण हिण्डोले में आज झूलेंगे बिहारी

वृंदावन, जागरण संवाददाता। ब्रज में सावन का सर्वाधिक आनंद हरियाली तीज देती है। इसके आते ही नगर में भक्ति की नई सुगंध फैलने लगती है। विभिन्न देवालयों में इस दिन से झूलनोत्सव प्रारम्भ हो जाता है। ठा. बांके बिहारी भी स्वर्ण-रजत हिण्डोले में झूलेंगे। इस दौरान उनकी एक छवि देखने को श्रद्धालु दूर-दूर से वृन्दावन में आ रहे हैं। बिहारी जी के इस हिण्डोले की कीमत वर्तमान में लगभग 10 करोड़ रुपये है।

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ठा. बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधक के अनुसार हरियाली तीज पर्व पर रविवार को सायंकाल ठाकुर जी चार बजे से भक्तों को दर्शन देंगे। शयन आरती रात्रि 11:55 एवं दर्शन बंद होने का समय रात्रि 12 बजे रहेगा। इसके अलावा अन्य मंदिरों में भी हिंडोला उत्सव प्रारंभ हो जाएगा।

वर्तमान हिण्डोले का निर्माण 1942 में शुरू हुआ था। बनारस के प्रसिद्ध कारीगर लल्लन एवं बाबूराम ने सहयोगियों के साथ मिलकर इस झूले का निर्माण किया। लगभग पांच वर्ष की मेहनत से 1947 में झूले का निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। इस विशालकाय झूले के निर्माण के लिए कानपुर का जंगल लीज पर लेकर वहां से शीशम की लकडि़यां मंगवाई गई थीं। दो वर्ष तक लकडि़यों के सूखने के बाद बनारस के कारीगर छोटेलाल ने अपनी अद्भुत कारीगरी का फन दिखाते हुए इस झूले का ढांचा तैयार किया।

दो हजार तोले सोना लगा

एक लाख तोले चांदी व दो हजार तोले सोने से निर्मित इस विशाल झूले के समान अन्य कोई झूला सम्पूर्ण विश्व में कहीं नहीं है। झूले में आठ सोने की पर्त चढ़ी हुई हैं। इसमें की गई नक्काशीदार पच्चीकारी से इस झूले की कारीगरी का पता चलता है। मंदिर में स्थित इस स्वर्ण हिण्डोले के कुल 130 भाग हैं, इन भागों को अलग-अलग करके जोड़ा जाता है। झूले के सभी भागों के रखरखाव के लिए उनके लिए बने स्टैण्डों में रुई व कपड़ा लपेटकर रखा जाता है। झूले में आकर्षक फूल-पत्तियों के बेल, बूटे, हाथी, मोर आदि बने हुए हैं। ठाकुर जी के झूले का निर्माण उनके भक्त सेठ हरगूलाल ने अपने निजी परिवार एवं अन्य श्रद्धालुओं के सहयोग से कराया था। इस झूले का रखरखाव सेठ हरगूलाल के भतीजे राधेश्याम बेरीवाला कर रहे हैं। हरियाली तीज पर दर्शन समय

ठाकुर बांके बिहारी शाम चार बजे से भक्तों को दर्शन देंगे

-शयन आरती रात्रि 11:55

-दर्शन बंद होने का समय रात्रि 12 बजे रहेगा।

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