पेशवाई में महंगाई डायन
परंपराओं पर गर्व करने वाले अखाड़ों में एक श्री आनंद अखाड़ा ने रविवार को एक नयी परंपरा की शुरुआत की। इस अखाड़े की पेशवाई में जहां महंगाई के खिलाफ अलख जगाने का संदेश दिया गया, वहीं देशभक्ति के गानों पर नागा साधु झूमते-थिरकते नजर आए।
इलाहाबाद, जागरण संवाददाता। परंपराओं पर गर्व करने वाले अखाड़ों में एक श्री आनंद अखाड़ा ने रविवार को एक नयी परंपरा की शुरुआत की। इस अखाड़े की पेशवाई में जहां महंगाई के खिलाफ अलख जगाने का संदेश दिया गया, वहीं देशभक्ति के गानों पर नागा साधु झूमते-थिरकते नजर आए। यहां तक कि एक बार जब बैंड बाजों ने धुन बदलने की भी कोशिश की तो गोपालानंद ने झिड़क दिया-पहले देशभक्ति के गीत बजाओ, देश पहले है, धर्म बाद में। फिर सिलसिला चलता रहा-ये देश है वीर जवानों का., मां तुझे सलाम.आदि-आदि।
आनंद अखाड़े की पेशवाई शुरू हुई तो सबकी निगाहें आगे-आगे चल रहे राजेंद्र तिवारी उर्फ दुकानजी पर ठिठक गई। देश में मूंछ नर्तक के रूप में विख्यात दुकानजी सिर महंगाई के प्रति विरोध जताने के लिए सिर पर सिलेंडर नुमा मुकुट रखे चल रहे थे। सिर्फ यही नहीं हाथ में भ्रूण हत्या और दिल्ली की दुष्कर्म घटना के प्रति रोष जताने के लिए भी पोस्टर थे। पेशवाई में लगभग 60 नागा संन्यासी तलवार, भाला और गदा लेकर करतब दिखाते हुए चल रहे थे। कुछ लाठी पर खड़े हो जाते, कुछ उस पर दूसरे को खड़ा करके शक्ति का एहसास करा रहे थे। इसके पहले आचार्य महामंडलेश्वर गहनानंद ने अल्लापुर स्थित आनंद अखाड़ा में आराध्य सूर्यदेव का वैदिक रीति से पूजन किया। फिर दिल्ली, बरेली, हरिद्वार, त्रयंम्बकेश्वर, लखनऊ से आए नागा संन्यासी, संत-महात्माओं की अगुवाई में पेशवाई निकली। सबसे आगे सूर्यदेव की भव्य पालकी थी। इनके पीछे आचार्य महामंडलेश्वर गहनानंद, महामंडलेश्वर सुरेंद्र गिरि, सागरानंद सरस्वती, शंकरानंद सरस्वती भव्य रथ में सवार थे। यह पेशवाई अन्य अखाड़ों की अपेक्षा भिन्न थी। यहां बैंडबाजा, हाथी, घोड़ा, ध्वज-पताका, नागाओं का करतब के साथ आकर्षक झांकियां व सबमें देशभक्ति का जुनून नजर आया। बहुत याद आए योगानंद
अखाड़ा के महामंडेलश्वर स्व. योगानंद सरस्वती के न होने की पेशवाई में कमी काफी खली। अर्द्धकुंभ में महामंडलेश्वर योगानंद ने पेशवाई की अगुवाई की थी। अखाड़ा के महामंत्री शंकरानंद ने बताया कि स्वामी योगानंद का न होना हमारे लिए अपूर्णीय क्षति है। दिखा कृष्ण-सुदामा का प्रेम
आनंद अखाड़ा की पेशवाई में श्रीकृष्ण व सुदामा की झांकी ने सबको मोहित किया। झांकी में श्रीकृष्ण व सुदामा की माखनचोरी, गाय चराने सहित अनेक लीलाओं को आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किया गया था। जय काली का हुआ उद्घोष
पेशवाई में काली का तांडव लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा। मां काली के वेष में हाथों में तलवार व खप्पर नृत्य कर रहे कलाकार को देख रहे लोगों ने जय काली-जय काली का उद्घोष किया।
पुष्पवर्षा कर किया स्वागत
पेशवाई में शामिल संतों पर लोगों ने जगह-जगह पुष्प वर्षा करके स्वागत किया। दारागंज में तीर्थराज पांडेय के नेतृत्व में संतों के आगे सड़क पर पुष्पवर्षा की गई, इसी के ऊपर से महंतों का काफिला आगे बढ़ा। जबकि रास्ते में महिलाओं ने संतों की आरती उतारी।
आगे की पेशवाई
-10 जनवरी : बड़ा उदासीन
-11 जनवरी : नया उदासीन
-12 जनवरी : निर्मल अखाड़ा पंच अग्नि अखाड़े की पेशवाई कल
श्रीशंभु पंच अग्नि अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर रामकृष्णानंद की पेशवाई आठ जनवरी को होगी। सभापति श्रीमहंत गोपालानंद ने बताया कि पेशवाई का शुभारंभ हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रांगण से दोपहर 12 बजे होगा।
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