भगवान को नहीं पा सकते श्रद्धाहीन मनुष्य
श्रद्धाहीन मनुष्य भगवान की भक्ति को नहीं पा सकते हैं। राम नाम जपने वाले का त्रिकाल में नाश नहीं होता, जिस प्रकार मानसरोवर झील में हंस और बगुला दोनों पक्षी एक साथ रहते हैं। दोनों का रंग व रूप एक है। दोनों के गुणों में बड़ा अंतर है। बगुले तो मछलियां ढूंढते हैं। उनका आहार यही है, परंतु हंस मोती चुग-चुग कर खाते हैं। इसी प्रकार मनमति मनुष्य बगुलों के समान संसार की गंदगी में फंसे रहते हैं। दूसरे जो संतों के उपदेश सुनते हैं, वे हंसों के समान राम नाम के मोती चुग-चुग कर खाते हैं।
लुधियाना। श्रद्धाहीन मनुष्य भगवान की भक्ति को नहीं पा सकते हैं। राम नाम जपने वाले का त्रिकाल में नाश नहीं होता, जिस प्रकार मानसरोवर झील में हंस और बगुला दोनों पक्षी एक साथ रहते हैं। दोनों का रंग व रूप एक है। दोनों के गुणों में बड़ा अंतर है। बगुले तो मछलियां ढूंढते हैं। उनका आहार यही है, परंतु हंस मोती चुग-चुग कर खाते हैं। इसी प्रकार मनमति मनुष्य बगुलों के समान संसार की गंदगी में फंसे रहते हैं। दूसरे जो संतों के उपदेश सुनते हैं, वे हंसों के समान राम नाम के मोती चुग-चुग कर खाते हैं।
नौलखा बाग कालोनी स्थित श्रीराम आश्रम में चल रहे अखंड राम नाम जप महायज्ञ के साथ चल रहे सत्संग में बुधवार को उक्त प्रवचन भक्त सुरिंदर शारदा जी ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि संत पथ पर चलने वाले मनुष्य को कोई हानि नहीं होती। मन मति त्याग कर गुरुमति को ह्दय में बसाना चाहिए। संकट के समय परमात्मा का नाम व संत के वचन ही मनुष्य के काम आते हैं। उन्होंने कहा कि राम नाम जपने से मन मंदिर के पट खुल जाते हैं। भक्ति पथ में गुरु का सहारा राम दरबार तक ले जाता है।
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