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हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की

दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ परिसर मंगलवार को वृंदावन के रंग में रंगा रहा। श्रीकृष्ण जन्म की बांकी झांकी और हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की जैसे उद्घोष।

By Edited By: Published: Wed, 11 Jul 2012 11:42 AM (IST)Updated: Wed, 11 Jul 2012 11:42 AM (IST)
हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की

वाराणसी। दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ परिसर मंगलवार को वृंदावन के रंग में रंगा रहा। श्रीकृष्ण जन्म की बांकी झांकी और हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की जैसे उद्घोष। भाव विभोर दर्शक दीर्घा और उन्हें हर प्रसंग में भिंगोती श्रद्धा की ओस।

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मौका था काशी सत्संग सेवा समिति की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस का। बाल व्यास श्रीकांत शर्मा ने संगीतमय प्रवचन में नंदलाल का बखान किया। गूढ़ रहस्यों को समझाया तो सुखी जीवन की राह सुझाया। उन्होंने कहा कि भागवत और भगवान एक दूसरे के पर्याय हैं। जो भगवान का होता है, वही भागवत का भी होता है। व्याकरण में पुलिंग को श्रीमान और स्त्रीलिंग को श्रीमती कहते हैं। दोनों में ही श्री का समावेश होता है तभी वह महनीय होते हैं। यह श्री कुछ और नहीं भगवान का ही स्वरुप है जो भागवत में कृष्ण और राधा के रुप में विराजमान हैं। इस दौरान कोलकाता से आए कलाकारों ने भक्त के वश में भगवान नृत्य नाटिका पेश की। इस पर श्रद्धालुजन झूमते-थिरकते रहे। पुष्पा बजाज, दीपक बजाज, मनोज बजाज ने स्वागत किया।

गंगा की निर्मलता का लिया संकल्प- धर्मसंघ परिसर में भागवत कथा के दौरान गंगा की व्यथा भी छलकी। श्रद्धालुओं ने तन मन धन और पूरे समर्पण से गंगा की अविरलता निर्मलता अभियान में सदैव सहयोग का संकल्प लिया।

आज की कथा- बुधवार को नंद महोत्सव, बाल लीला व माखन चोरी प्रसंग की कथा होगी। पर्यावरण रक्षा के निमित्त तुलसी व नीम के पौधे वितरित होंगे।

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