नदियों के संगम में आस्था की डुबकी
मौनी अमावस्या पर प्रयाग में भक्तों का जनसैलाब उमड़ा। अमावस्या सोमवार को होने के कारण लोगों की आस्था अधिक बढ़ गई। हर कोई इस पुण्यबेला का भागीदार बनने को आतुर नजर आया। संगम में डुबकी लगाने का सिलसिला भोर से शुरू हो गया। भक्तों ने मौनव्रत रखकर प्रयाग में गंगा-यमुना तथा अदृश्य सलिला सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाई।
इलाहाबाद, जागरण संवाददाता। मौनी अमावस्या पर प्रयाग में भक्तों का जनसैलाब उमड़ा। अमावस्या सोमवार को होने के कारण लोगों की आस्था अधिक बढ़ गई। हर कोई इस पुण्यबेला का भागीदार बनने को आतुर नजर आया। संगम में डुबकी लगाने का सिलसिला भोर से शुरू हो गया। भक्तों ने मौनव्रत रखकर प्रयाग में गंगा-यमुना तथा अदृश्य सलिला सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाई।
देश-विदेश से आए महिला, पुरुष, बच्चे, बुजुर्ग, अमीर-गरीब सबने एक ही घाट पर स्नान ध्यान किया। कई भक्त ऐसे थे जो उम्र के अंतिम पड़ाव में होने के कारण चलने में अक्षम थे, इसके बाद भी स्नान के लिए आए। सुबह आसमान में सूर्यदेव का दर्शन होने के बाद तो आस्था उफान मारने लगी। सात बजे के बाद लोगों का कारवां बढ़ता जा रहा था। मेला क्षेत्र में तिल रखने तक की जगह नहीं थी। स्नान, दान, ध्यान का सिलसिला पूरे दिन चला। इसमें आम श्रद्धालुओं के साथ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, स्वामी महेशाश्रम, स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी, स्वामी ब्रह्माश्रम, स्वामी विमलदेव सहित सैकड़ों संत-महात्माओं ने पुण्यबेला में संगम में डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद संतों के शिविर में प्रवचन सुनकर अपना समय बिताया। वहीं कल्पवासियों व संतों के शिविर में पूरे दिन भंडारा होता रहा। यहां सुबह से देर रात तक लोगों को भोजन कराया गया। मेला क्षेत्र में जगह-जगह पुलिस व पीएसी जवान मुस्तैद नजर आए जबकि घाट पर जल पुलिस के जवान नाव पर घूमते रहे।
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