शैलपुत्री दुर्गा का महत्व एवं शक्तियां
नवरात्र में नौ विभिन्न देवी की अराधना सर्वमंगलकारी है जिससे व्यक्ति को धर्म,अर्थ,मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्र यानी नौ दिनों तक आदि शक्ति के नौ स्वरुपों की अराधना। वन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम।।
नवरात्र में नौ विभिन्न देवी की अराधना सर्वमंगलकारी है जिससे व्यक्ति को धर्म,अर्थ,मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्र यानी नौ दिनों तक आदि शक्ति के नौ स्वरुपों की अराधना।
वन्दे वांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम।।
मां दुर्गा अपने प्रथम स्वरूप में शैलपुत्री के नाम से जानी जाती हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। माता शैलपुत्री अपने पूर्व जन्म में सती के नाम से प्रजापति दक्ष के यहां उत्पन्न हुई थीं और भगवान शंकर से उनका विवाह हुआ था। एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया। इसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ-भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया, किन्तु शंकरजी को उन्होंने इस यज्ञ में निमंत्रित नहीं किया। सती ने जब सुना कि उनके पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं, तब वहाँ जाने के लिए उनका मन बेचैन हो उठा, और उन्होंने अपने आप को वहीं भस्म कर लिया जिसके बाद नाराज शंकर जी मां के शरीर को लेकर तांडव करने लगा जिसके चलते धरती पर जहां जहां मां के शरीर गिरे वहा-वहां एक शक्तिपीठ बन गया है। मां शैलपुत्री वृषभ पर सवार हैं। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं। पार्वती एवं हेमवती भी इन्हीं के नाम है। मां शैलपुत्री दुर्गा का महत्व एवं शक्तियां अनंत है। नवरात्र पर्व पर पहले दिन इनका पूजन होता है. इस दिन साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करके साधना प्रारम्भ करते हैं। इससे मन निश्छल होता है और काम-क्रोध आदि शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। इस मौके पर शुभ मुहूर्त में घर-घर में घटस्थापना यानी कलश की जाएगी। नवरात्र में भक्त दुर्गा सप्तशती पाठ, कुमारिका पूजन से देवी की आराधना करेंगे। नवरात्र का पहला दिन शैलपुत्री के नाम होता है। इन्हें ही प्रथम दुर्गा कहा जाता है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। नवरात्र-पूजन में पहला दिन इन्हीं की अराधना की जाती है। हिंदू धर्म में प्रत्येक नर-नारी जो हिन्दू धर्म की आस्था से जुड़े हैं सभी किसी न किसी रूप में कहीं न कहीं देवी की उपासना करते ही हैं। फिर चाहे व्रत रखें, मंत्रों का जाप करें, अनुष्ठान करें या अपनी-अपनी श्रद्धा-भक्ति के अनुसार कर्म करते रहे।. चाहे चैत्र नवरात्र हो या फिर शारदीय नवरात्र,दोनों की अगाध और असीम महिमा है।
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