गली-गली में अफ्तार की दावतें
रमजान के पाक महीने में मुस्लिम इलाकों में चहल-पहल बढ़ गई है। रोजेदार पूरी पाबंदी से दिनभर रोजे पर अमल के बाद सूरज गुरूब होते ही दावत-ए-अफतार शरीक हो जाते हैं।
इलाहाबाद। रमजान के पाक महीने में मुस्लिम इलाकों में चहल-पहल बढ़ गई है। रोजेदार पूरी पाबंदी से दिनभर रोजे पर अमल के बाद सूरज गुरूब होते ही दावत-ए-अफतार शरीक हो जाते हैं। इबादत का माहौल फिर मगरिब नमाज के बाद से बनने लगता है जो देर रात तरावीह की नमाज तक जारी रहता है। दिन की शुरुआत सहरी करने के बाद से होती है। अफ्तार को लेकर दावतों का सिलसिला भी जोर पकड़ चुका है।
मस्जिदों में तो अफ्तार कराए ही जा रहे हैं। मस्जिदों में नमाजियों की भी अफतार की सामग्री पहुंचाई जा रही है। आम दिनों में काम में मशरूफ रहने वाले भी पांचों वक्त की नमाज अदा करने में पीछे नहीं हैं। युवाओं के साथ बच्चे और बुजुर्ग भी पूरी पाबंदी के साथ अफ्तार पर्टियों में शरीक हो रहे रहे हैं। मुस्लिम इलाकों-चौक, रानीमंडी, दायराशाह अजमल, चकिया, करेली, अकबरपुर, चकदोंदी आदि इलाकों की बाजारें सहरी और इफ्तार के सामानों से पटी हैं। सुबह से देर रात तक यहां खरीदारी के लिए युवाओं, बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गो की भीड़ जुट रही है। सबसे ज्यादा खरीद खजूर और सूतफेनी की हो रही है। सूतफेनी बेचने वाले आजम बताते हैं कि सालभर में जितनी सूतफेनी नहीं बिकती, उससे अधिक अकेले रमजान में बिक जाती है। वजह है ज्यादातर लोग सहरी के समय सूतफेनी का इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह खजूर की भी खासी खपत है। तमाम रोजेदार खजूर से ही रोजा खोलते हैं। ऐसे में इन दिनों खजूर की भी खासी मांग है।
गरीबों में तक्सीम किए पकवान
रमजान के चौथे दिन रोजेदारों ने सहरी के बाद दिनभर पाबंदी के साथ रोजे पर अमल किया। इस दौरान घरों में भी कुरान पढ़ी गई और इबादत सिलसिला जारी रहा। जगह-जगह उलेमा रमजान की फजीलत का बयान करते रहे। दिनभर रोजा रखने के बाद लोगों ने इफ्तार के वक्त गरीबों में पकवान तक्सीम किए।
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