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बदला रिवाज, रथ पर निकले रघुनाथ

उत्तर भारत की प्रसिद्ध एक सौ दस साल पुरानी रामबरात गुरुवार को ऐतिहासिक परिवर्तन की गवाह बनीं। बरात का बड़ा रिवाज बदल गया, भगवान श्रीराम के स्वरूप गजराज पर नहीं, बल्कि रथ पर सवार होकर निकले। झांकियों के रूप में अलौकिक छटा लिए चल रहे देवी-देवता भी रथ में सवार थे।

By Edited By: Published: Fri, 12 Oct 2012 12:02 PM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2012 12:02 PM (IST)
बदला रिवाज, रथ पर निकले रघुनाथ

आगरा। उत्तर भारत की प्रसिद्ध एक सौ दस साल पुरानी रामबरात गुरुवार को ऐतिहासिक परिवर्तन की गवाह बनीं। बरात का बड़ा रिवाज बदल गया, भगवान श्रीराम के स्वरूप गजराज पर नहीं, बल्कि रथ पर सवार होकर निकले। झांकियों के रूप में अलौकिक छटा लिए चल रहे देवी-देवता भी रथ में सवार थे। परंतु इस बदलाव से आयोजन की भव्यता कम होने के बजाय और आकर्षक नजर आयी। बरात के अवलोकन लिए शहर की सड़कों पर सैलाब उमड़ पड़ा।

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उत्तर भारत की प्रमुख रामलीला में गुरुवार को भगवान श्रीराम की बरात निकाली गई। मन:कामेश्वर मंदिर की बारहदरी में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के स्वरूपों की आरती उतारकर उन्हें मनमोहक रथों पर विराजमान किया गया। बीते साल हाथी लाने को लेकर विवाद खड़ा हुआ था, जिसके चलते आयोजन समिति ने इस बार रथों की नई परंपरा शुरू की। श्रीराम के स्वरूप के रथ में छह घोड़े लगे थे। रथ को स्वर्णिम आभायुक्त बनाया गया तो था जो अपने आप में अनूठा नजर आया। उनके भाइयों के स्वरूपों के रथ भी आकर्षक थे, जिन्हें चार-चार घोड़े खींच रहे थे।

बरात का शुभारंभ सायं पांच बजे ही हो गया, जिसमें सबसे आगे दो ऊंट धर्म ध्वजा फहराते हुए चल रहे थे। विघ्न विनाशक की झांकी के बाद अन्य झांकियों का जो काफिला शुरू हुआ, तो चलता ही गया। 90 से अधिक झांकियां बरात में निकाली गईं। इनमें इस बार छप्पन भोग की कई झांकियां थीं। खाटू श्यामजी, मेहंदीपुर बालाजी, करौली वाली देवी की झांकियां विशेष थीं। शंकरजी की बरात में भूत, प्रेत, नादिया के स्वरूप नृत्य करते हुए चल रहे थे। एक झांकी में शिव की जटा से गंगा को निकलते दिखाया गया था। मन:कामेश्वरनाथ की झांकी हूबहू प्रदर्शित की गई थी। गांधी की प्रतिमा उनके तीन बंदरों के साथ निकाली गई थी। राजा दशरथ बने नानकचंद अग्रवाल एक रथ में बैठे थे। चांदी के रथ में लक्ष्मीनारायन के स्वरूप थे। उसके बाद रथों का सिलसिला शुरू हुआ, जिसमें शत्रुघ्न, भरत के स्वरूप थे। शेषनाग की आकृति के साथ बनाये गए रथ पर लक्ष्मणजी विराजमान थे। सूर्य की आकृति के रथ पर अवधपति को विराजमान किया गया।

भगवान श्रीराम के रथ के साथ चलने वालों में मेयर मेयर इंद्रजीत आर्य, पूर्व विधायक उदयभान सिंह, रामलीला कमेटी के अध्यक्ष विधायक जगन प्रसाद गर्ग, मंत्री श्रीभगवान अग्रवाल, मंत्री रामप्रकाश अग्रवाल, डॉ. अनुराग शुक्ला, मुकेश अग्रवाल, अजय शुक्ला, श्यामबाबू अग्रवाल, प्रकाशचंद अग्रवाल आदि शामिल थे। मन:कामेश्वर मंदिर में राम बरात निहारने के लिए विदेशियों के आगमन की प्रतीक्षा थी। मगर यातायात व्यवस्था की वजह से वे वहां नहीं आ पाए।

पदाधिकारियों में विवाद

रथ में विराजमान भगवान श्रीराम के स्वरूप की आरती उतारने से पहले यहां पदाधिकारियों में आपसी विवाद हो गया।

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