मेरे सपनों का कुंभ
प्रयाग की पावन धरती धर्म-अध्यात्म का केंद्र है। इसका यह स्वरूप प्राचीनकाल से चला आ रहा है। माघ मास में लोग ज्ञान और शांति की खोज में जप-तप करने के लिए यहां आते हैं,
प्रयाग की पावन धरती धर्म-अध्यात्म का केंद्र है। इसका यह स्वरूप प्राचीनकाल से चला आ रहा है। माघ मास में लोग ज्ञान और शांति की खोज में जप-तप करने के लिए यहां आते हैं, कुंभ में संख्या करोड़ों में पहुंच जाती है। इसका यह स्वरूप कायम रहना चाहिए, ताकि लोगों की श्रद्धा और विश्र्वास में कोई ठेस न पहुंचे। अबकी कुंभ में धर्म के साथ प्रयाग की भूमि व्यावसायिक केंद्र बनती नजर आ रही है। खासकर पूरे मेला क्षेत्र में बड़ी-बड़ी कंपनियों की होर्डिग देखकर दिल में ठेस पहुंचती है। कंपनियों ने इसके लिए संतों का सहारा लिया है। हर संत की फोटो के साथ कंपनियां अपना प्रचार कर रही हैं, यह सिलसिला रुकना चाहिए, क्योंकि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालु यहां भक्तिभाव से त्याग करने आते हैं। कंपनियों का प्रचार तो उन्हें कहीं भी देखने को मिल जाएगा। प्रशासन को इस मामले में कड़ा कदम उठाना चाहिए, जिन कंपनियों ने अपनी होर्डिग मेला क्षेत्र में लगा रखी है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे तत्काल हटवा देना चाहिए।
यश मालवीय, वरिष्ठ कवि
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