यहां हर पंचमी को होता है सीताराम विवाहोत्सव
भक्ति मिल जाय तो उसके पुत्र ज्ञान व वैराग्य खुद प्राप्त हो जाते हैं। यह सामर्थ्य केवल मिथिला में ही है जो परं ब्रहृम परमात्मा को अपने बीच दुलहा के रूप में पाकर उन्हें मधुर गालियां सुनाते हैं।
अयोध्या। भक्ति मिल जाय तो उसके पुत्र ज्ञान व वैराग्य खुद प्राप्त हो जाते हैं। यह सामर्थ्य केवल मिथिला में ही है जो परं ब्रहृम परमात्मा को अपने बीच दुलहा के रूप में पाकर उन्हें मधुर गालियां सुनाते हैं। मिथिला भाव की उपासना पद्धति मानने वाली रसिक सम्प्रदाय की पीठ विअहुति भवन में प्रत्येक पंचमी को श्रीसीताराम विवाहोत्सव की परंपरा इस भावधारा को गौरवान्वित कर रही है।
इस मंदिर में प्रभु के उल्लास के लिए जहां एक ओर मिथिला व अयोध्या भाव के संतों द्वारा एक-दूसरे का स्वागत मधुर गालियों से करते हैं, दूसरी ओर इसी आस्वाद के लिए धरा-धाम पर अवतरित परब्रहृम अपनी लोकलीला का मनमोहक रूप प्रस्तुत करते हैं। इसके लिए विअुहति भवन में ही नवल किशोर कुंज को अयोध्या भाव व मंदिर परिसर में मौजूद विवाह मंडल को मिथिला भाव से मानकर प्रत्येक पंचमी को विवाहोत्सव की परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। पीठ से जुड़े सुरेश चौधरी कहते हैं कि विवाहोत्सव के जरिये भक्त प्रभु की भक्ति में विभोर हो जाते हैं।
पंचमी को हुआ विवाह -
सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा के अनुपालन में विअहुति भवन में सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम-जानकी का विवाह धूमधाम से हुआ। इसके लिए भगवान श्रीराम-जानकी के स्वरूपों का पूजन, द्वारचार, हल्दी, बारात का मधुर गीतों से स्वागत किया। उत्तराधिकारी महंत मनमोहन की देखरेख में सैकडों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में इस परंपरा का निर्वहन मंगलवार को हुआ।
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