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परमार्थ का पाठ पढ़ाए श्रीराम मंदिर

करनाल के सेक्टर-आठ में स्थित श्रीराम मंदिर में श्रद्धालुओं को परमार्थ का पाठ सहज ही पढ़ने को मिलता है। यहां विशिष्ट अवसरों पर आने वाले संत-महात्मा सत्संग के दौरान श्रद्धालुओं को परमार्थ की प्रेरणा देते हैं। श्रद्धालुओं की श्रीराम के इस भव्य मंदिर के प्रति शुरू से अगाध आस्था एवं अटूट विश्वास है।

By Edited By: Published: Tue, 03 Jul 2012 04:39 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2012 04:39 PM (IST)
परमार्थ का पाठ पढ़ाए श्रीराम मंदिर

भारत ऋषि-मुनियों और संतों का देश है। परम परमेश्वर ने समय-समय पर यहां अवतार लेकर सबको कृतार्थ किया है। हिंदू संस्कृति का प्रचार किया और लोगों को कल्याणकारी कार्यो में लगाया। ऐसे ही एक तपस्वी संत श्रीसत् जींदा कल्याणा लगभग 600 वर्ष पूर्व झांग (पाकिस्तान) में हुए जिन्होंने अनेक कल्याणकारी कार्य करके अपने ही जीवन को सार्थक नहीं बनाया बल्कि समाज को भी एक नई दिशा दी। उनका पल्लवित पुष्पित रूप भारत के विभिन्न भागों में देखा जा सकता है।

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श्रीसत् जींदा कल्याणा की प्रसिद्ध गद्दी रोहतक के कस्बे कलानौर में स्थित है। इस गद्दी को श्रीसत् जींदा कल्याणा के बाद जिन महान संतों ने सुशोभित किया जिनमें श्रीश्री 108 महंत हरबेल साहिब, दरिया साहिब, बालक महबूब, संतदास, धर्मदास, संतोखदास, चरणदास, दयालदास, गंगादास, महंत सती नारायणदास, वीरदास, भगत दास, गोकुलदास, अर्जुनदास, जमनादास व महंत हरिदास शामिल हैं। इन महंतों के सेवकों ने करनाल के सेक्टर-आठ में लगभग 1200 वर्ग गज में श्रीराम मंदिर की स्थापना की है। इस मंदिर की शोभा देखते ही बनती है। इसमें रामदरबार व मां भगवती की भव्य मूर्तियां स्थापित हैं। भविष्य में पवनपुत्र हनुमान व शिवशंकर भोलेनाथ की प्रतिमाएं स्थापित करने की योजना तैयार है। मंदिर के बेसमेंट में हाल है जिसमें लंगर चलता है। यहां समय-समय पर योग व चिकित्सा शिविर भी लगाए जाते हैं। श्रीसत् जींदा कल्याणा के मंदिर और आश्रम दिल्ली, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, शाहबाद मारकंडा के अलावा लुधियाना (पंजाब), बनी (महाराष्ट्र), पांडुरना (मध्यप्रदेश) तथा हरिद्वार व बदांऊ (उत्तरप्रदेश) में भी बने हुए हैं।

वास्तव में जिन संतों ने समाज के कल्याण के लिए कुछ अच्छा काम किया है उन्हीं के दिखाए रास्ते पर दुनिया चलती है और उन्हीं का नाम आगे-आगे इस संसार में चलता रहता है। जिन संतों ने अपने समय में लोगों को कोई सन्मार्ग दिखाया तभी तो आज उनके असंख्य श्रद्धालु हैं। महान कवि तुलसीदास ने भी रामचरित मानस में यह वर्णित किया है कि जो भी श्रेष्ठ संत हुए हैं उनकी वेदों और पुराणों ने भी प्रशंसा की है।

करनाल के श्रीराम मंदिर में समय-समय पर संत हेमंतदास आते रहते हैं और श्रद्धालुओं को प्रवचन देते हैं। उनके यहां आने पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ यहां पहुंचती है और श्रद्धापूर्वक प्रवचन सुनती है। संत हेमंतदास समय-समय पर समाजोत्थान के लिए कार्य करते रहते हैं। उन्होंने अनेक महाविद्यालय, औषधालय एवं गोशालाएं आदि संचालित की हैं। इनके अलावा भी उन्होंने समय-समय पर अनेक जनकल्याण के कार्य किए हैं।

करनाल में स्थित श्रीराम मंदिर की स्थापना सितंबर 2002 में हेमंतदास महाराज के आशीष व बाबा हरनामदास की अध्यक्षता में हुई। स्थापना के बाद से यह मंदिर दिन-प्रतिदिन प्रसिद्धि प्राप्त करता जा रहा है। अब यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं। विशिष्ट अवसरों पर तो यहां श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। इन अवसरों पर श्रीराम मंदिर में भारत के विभिन्न क्षेत्रों से कथावाचक और गायक आते हैं। भजन गायन के बाद यहां आरती का आयोजन होता है और फिर लंगर होता है। इसके अलावा हर रविवार के दिन सुंदर कांड का पाठ, भजन कीर्तन और प्रवचन होता है। सवेरे हवन और शाम को कार्यक्रम के बाद लंगर लगाया जाता है जिसमें श्रद्धालु बढ़-चढ़कर शिरकत करते हैं। श्रीराम मंदिर कमेटी के प्रधान जगन्नाथ बतरा का कहना है कि वे इस मंदिर की भव्यता को और भी बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। मंदिर कमेटी की कार्यकारणी के अन्य सदस्यों का भी इस कार्य में विशेष सहयोग है। श्रद्धालुओं का मानना है कि जिस स्थान पर अच्छे कार्य होते हैं वहां पर लोग खुद-ब-खुद जुड़ते चले जाते हैं। यही कारण है कि यहां दिन-ब-दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ी है। मंदिर के पुजारी प्रवीण गोसांई तथा उनके सहयोगी दिनेश शास्त्री विधि-विधान से मंदिर में पूजा-अर्चना व हवन आदि करते हैं।

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