साधुक्कड़ी आन-बान-शान से पेशवाई
नागा साधुओं की सबसे बड़ी जमात पंच दशनाम जूना अखाड़े की नगर पेशवाई गुरुवार को सधुक्कड़ी आन-बान-शान के साथ डाफी से निकली। निशान फहराते, रणकौशल दिखाते और फ क्कड़ मस्ती में जयकारे लगाते नागा संन्यासियों का अंदाज लोगों को रिझाता रहा
वाराणसी। नागा साधुओं की सबसे बड़ी जमात पंच दशनाम जूना अखाड़े की नगर पेशवाई गुरुवार को सधुक्कड़ी आन-बान-शान के साथ डाफी से निकली। निशान फहराते, रणकौशल दिखाते और फ क्कड़ मस्ती में जयकारे लगाते नागा संन्यासियों का अंदाज लोगों को रिझाता रहा। हाथी घोड़ा पालकी, शाही ध्वज, डंका और ढोल तासे की धुन पर बढ़ती आस्था की अनूठी बरात। संत महंत बराती और इसकी आभा निरखने सड़कों पर भीड़ उमड़ी आती।
डाफी स्थित पांडेय लॉन में बुधवार को दोपहर के बाद से ही संत महंत और रमता पंच इलाहाबाद से आ जुटे थे। सुबह सूरज की किरणें फूटने के साथ ही पेशवाई की तैयारियां शुरू हो गई। ट्रैक्टरों को रथ सा सजाया उसपर आसन-पालकी लगाया। भस्म भभूत पोत नागा संन्यासियों की आभा भी निखर आई। परम्परा के अनुसार अखाड़े के नागा साधुओं ने इष्टदेव का पूजन-अर्चन किया। खिचड़ी-दही ग्रहण कर पेशवाई निकालने का एलान किया गया। भाला बरछी और पटा बनेठी कला दिखाई। गाजे-बाजे और आतिशबाजी के साथ 11.30 बजे पेशवाई सड़कों पर उतर आई। सबसे आगे रमता पंच का बैनर, शाही ध्वज, निशान और देव पालकी। आधा दर्जन बैंड पार्टी, हाथी और डेढ़ दर्जन घोड़े, चार दर्जन रथाकार ट्रैक्टर और इतने ही लक्जरी वाहनों की तीन किलोमीटर कतार। परम्परागत वेशभूषा में चांदी की छड़ी लिए अखाड़े के कोतवाल जुलूस को व्यवस्थित करते। युवा संन्यासियों के जत्थे बाइक से पायलटिंग में व्यस्त। श्रद्धालु शीश नवाते, जमीन तक झुके जाते और संतों की ओर से उछले एक फूल से निहाल हो जाते। सीरगोवर्धन, भगवानपुर, नगवा, संतरविदास गेट, रवींद्रपुरी बाईपास, चेतमणि चौराहा, जवाहर नगर, शंकुलधारा, विनायका होते बैजनत्था स्थित रमता पंच छावनी जपेश्वर महादेव मठ पहुंचा। यहां भूमि शुद्धिकरण कर निशान स्थापित किया गया और देव स्थापना की गई।
पेशवाई में महामंत्री महंत प्रेम गिरी, महंत हरि गिरी, रमता पंच श्रीमहंत केदार पुरी, श्रीमहंत हरिहरानंद भारती, श्रीमहंत पृथ्वी गिरी, श्रीमहंत हरदेव गिरी, अष्टकौशल महंत सुरेशानंद सरस्वती, महंत मृत्युंजय पुरी, महंत हरेराम गिरी, महंत बलराज गिरी, राष्ट्रीय मंत्री प्रेम पुरी, अध्यक्ष उमाशंकर भारती, महामंडलेश्वर भवानीनंदन यति, आचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती समेत सैकड़ों संत-महंत, नागा संन्यासी शामिल थे। महिला व बाल संन्यासियों का उत्साह भी लोगों के आकर्षण का केंद्र था। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर बड़ी संख्या में पुलिस व पीएसी के जवान लगाए गए थे।
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