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भव्य रूप से सज रहा श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर

विश्व प्रसिद्ध श्री सिद्ध बाबा सोढल मेले को लेकर बाबा का मंदिर भव्य रूप से सजाया जा रहा है। तालाब के इर्द-गिर्द जहां पक्का फर्श बिछाने का काम जारी है, वहीं रंगरोगन भी जारी है।

By Edited By: Published: Sat, 22 Sep 2012 12:00 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2012 12:00 PM (IST)
भव्य रूप से सज रहा श्री सिद्ध बाबा सोढल मंदिर

जालंधर। विश्व प्रसिद्ध श्री सिद्ध बाबा सोढल मेले को लेकर बाबा का मंदिर भव्य रूप से सजाया जा रहा है। तालाब के इर्द-गिर्द जहां पक्का फर्श बिछाने का काम जारी है, वहीं रंगरोगन भी जारी है। मंदिर के मार्गो पर बाजार सजाने के लिए अभी से कब्जे की जद्दोजहद शुरू हो चुकी है। इस क्रम में झूले व स्टाल लगाने वाले भी जमीन की तलाश में इस मार्ग पर निकल पड़े हैं। मंदिर में इलेक्ट्रिक लडि़यां लगाने का काम भी जोर-शोर से चल रहा है। अनन्त चौदस के दिन 28 सितंबर को विश्व प्रसिद्ध श्री सिद्ध बाबा सोढल मेला लगेगा। चढ्डा बिरादरी के प्रधान विपिन बब्बी चढ्डा ने शुक्रवार को सदस्यों के साथ मेला स्थल का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि बिरादरी द्वारा लगातार तीन दिन तक चलने वाले लंगर को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर में आने वाले भक्तों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसके लिए बिरादरी द्वारा व्यापक प्रबंध किए गए हैं।

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मेले की जगह नहीं हुई नीलाम-

श्री सिद्ध बाबा सोढल मेले के दौरान लगने वाले स्टाल तथा रेहड़ी-फड़ी के लिए जगहों की नीलामी शुक्रवार को रखी गई दूसरी बोली में भी नहीं हो पाई। निगम के टाउन हाल में सुबह 11 बजे बुलाई गई नीलामी में एक भी बोलीदाता नहीं पहुंचा। दूसरी बार बोली रद होने की हालात में अब निगम की कमाई का सारा दारोमदार तहबाजारी शाखा पर है।

निगम की ज्वाइंट कमिश्नर अनुपम कलेर ने बताया कि 28 सितंबर से तीन दिन तक चलने वाले मेले के दौरान आसपास की जगहों पर सड़कों पर झूले, स्टाल, रेहड़ी-फड़ी सैकड़ों की संख्या में लगाए जाते हैं, जिसकी पहली नीलामी 17 सितंबर को तथा दूसरी बोली आज रखी गई थी, लेकिन आज नीलामी में कोई बोलीदाता नहीं आने के कारण रद कर दिया गया है। ऐसे में तहबाजारी शाखा बीते वर्षो की भांति इन जगहों से शुल्क वसूलेगी। हालांकि इस बाबत अंतिम फैसला तथा शुल्क की दर का निर्धारण निगम कमिश्नर विनय बुबलानी करेंगे। गौर हो कि बीते साल मेले के दौरान तहबाजारी शाखा ने करीब 3.15 लाख रुपये शुल्क के रूप में वसूल किए थे। निगम की कोशिश थी कि नीलामी के द्वारा इस रकम में बढ़ोतरी होगी, लेकिन बोलीदाता के दिलचस्पी नहीं दिखाने के कारण एक बार फिर सारा दारोमदार तहबाजारी शाखा पर होगा।

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