महाकुंभ में पहुंचे महराज
प्रशासन की काफी मिन्नत के बाद प्रयाग पहुंचे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने शुक्रवार को विघ्न विनाशक गजानन गणेश के नेतृत्व में कुंभ क्षेत्र में प्रवेश किया। चार धाम के महात्म्य को दर्शाने वाले मंदिरों का प्रतिबिंब, ध्वज-पताका, बैंडबाजा व सैकड़ों संतों के साथ शंकराचार्य की मेला क्षेत्र में पेशवाई हुई।
कुंभनगर। प्रशासन की काफी मिन्नत के बाद प्रयाग पहुंचे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने शुक्रवार को विघ्न विनाशक गजानन गणेश के नेतृत्व में कुंभ क्षेत्र में प्रवेश किया। चार धाम के महात्म्य को दर्शाने वाले मंदिरों का प्रतिबिंब, ध्वज-पताका, बैंडबाजा व सैकड़ों संतों के साथ शंकराचार्य की मेला क्षेत्र में पेशवाई हुई। इसमें आदि शंकराचार्य के संदेशों वाली झांकियां, चार पीठों का दृश्य आकर्षण का केंद्र रहा। शंकराचार्य के शिष्य भक्ति धुन पर थिरकते हुए चल रहे थे। संतों का कारवां जिस मार्ग से गुजरा, वहां लोगों ने पुष्पवर्षा कर उनका भव्य स्वागत किया। भव्य रथ में शंकराचार्य भक्तों को आशीष देते हुए चल रहे थे।
शंकराचार्य स्वरूपानंद का काफिला सुबह मनकामेश्र्र्वर मंदिर से रामबाग स्थित नवग्रह मंदिर पहुंचा। वहां श्रीपथरचट्टी रामलीला कमेटी के महामंत्री आनंद सिंह, प्रवक्ता लल्लूलाल गुप्त सौरभ ने उनका माल्यार्पण कर स्वागत किया। अग्नि अखाड़ा के स्वामी गोपालानंद ब्रह्मचारी, स्वामी गोविंदानंद, स्वामी कैलाशानंद ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का माल्यार्पण किया।
फिर पेशवाई शुरू हुई। सबसे आगे भगवान गणेश की चांदी की विशाल प्रतिमा चल रही थी। इनके पीछे सैकड़ों ध्वज, पताका व ढोलताशा, बैंडबाजा, शहनाई की धुन में थिरकते भक्त थे। भव्य रथ पर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती विराजमान थे। रामबाग से आरंभ हुई पेशवाई बैरहना, अलोपीबाग होते हुए सेक्टर 11 स्थित स्वरूपानंद सरस्वती के शिविर पहुंचकर समाप्त हुई। इसमें स्वामी अच्युतानंद, स्वामी अविमुक्तेश्र्र्वरानंद, स्वामी कैलाशानंद, स्वामी सदानंद सरस्वती, डॉ. कृष्णानंद पांडेय, रामकृष्णानंद, कैवल्यानंद की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
स्वागत पेशवाई के बांध पहुंचने पर मेला प्रशासन के अधिकारियों ने शंकराचार्य स्वरूपानंद व उनके शिष्यों का स्वागत किया। मेलाधिकारी मणि प्रसाद मिश्र, एसएसपी आरकेएस राठौर सहित कई अधिकारियों ने संतों का माल्यार्पण कर उनका आशीर्वाद लिया।
रथों का कारवां आकर्षण
अब तक हुई पेशवाई में यह पहला अवसर था जिसमें 60 से अधिक ट्रैक्टरों का लंबा कारवां शामिल था। सबको रथ का स्वरूप दिया गया, जिसमें स्वर्गलोक पर नृत्य करती अप्सराएं, उपदेश देते देवाधिदेव महादेव, गंगा प्रदूषण के खिलाफ झांकियां थीं। इन्हें देख श्रद्धालु अभिभूत नजर आए।
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