अब राधे मां के पति की तलाश
बहुचर्चित संत राधे मां उर्फ कुलविंदर कौर उर्फ पप्पू के क्रिया-कलापों की जांच में लगे जूना अखाड़े को अब तलाश है उनके पति मनमोहन सिंह की।
हरिद्वार। बहुचर्चित संत राधे मां उर्फ कुलविंदर कौर उर्फ पप्पू के क्रिया-कलापों की जांच में लगे जूना अखाड़े को अब तलाश है उनके पति मनमोहन सिंह की। बताया जा रहा है कि राधे मां को महामंडलेश्वर बनाकर चर्चा में आए जूना अखाड़े के पंजाब गए जांच दल का उद्देश्य मनमोहन को तलाश कर उनसे गृहस्थ जीवन के बारे में बात करना है। जांच की गोपनीयता को लेकर इस मामले में खुलकर बात करने को अभी कोई भी तैयार नहीं है।
राधे मां को महामंडलेश्वर बनाने के प्रकरण में चौतरफा सवालों से घिरा श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा इस विवाद का जल्द पटाक्षेप चाहता है। अखाड़े ने यूं तो मामले की जांच के लिए बनाई 11 संतों की समिति को जांच रिपोर्ट देने के लिए 15 दिन से तीन माह तक का समय दिया था, लेकिन अखाड़ा सूत्रों का कहना है कि अखाड़े का शीर्ष नेतृत्व अब मामले को लंबा खींचने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि जांच की घोषणा करने के अगले ही दिन अखाड़े ने राधे मां को महामंडलेश्वर पद से न सिर्फ निलंबित किया, बल्कि जांच पूरी होने तक पद नाम के प्रयोग पर भी पाबंदी लगा दी। अखाड़ा सूत्रों के अनुसार राधे मां के पूर्व के क्त्रिया-कलापों के बारे में सटीक जानकारी के लिए जांच दल को उनके पति की तलाश है। जांच दल पति मनमोहन सिंह (शादी के कुछ वर्ष बाद विदेश चले जाना बताया जा रहा है) से संपर्क कर उनकी शादी-शुदा जिंदगी के बारे में जानकारी करना चाहता है। साथ ही यह भी जानने की कोशिश है कि किस वजह से राधे मां ने घर त्यागा और मुंबई पहुंच गईं। जांच दल का फोकस इस बात पर भी है कि केवल 7-8 वषरें में साधारण गृहस्थ से मल्टीमिलिनियर राधे मां तक का सफर कैसे तय किया गया। अखाड़े की जांच समिति इसके लिए राधे मां की ससुराल मुकेरिया, जिला होशियारपुर (पंजाब) जाएगी।
योजनाबद्ध होता है हर काम-
राधे मां के हर काम-कार्यक्त्रमों की रुपरेखा के पीछे इवेंट प्लानर, एडवरटाइजिंग एजेंसी और मैनेजमेंट गुरु के होने की बात प्राथमिक जांच में सामने आई है। जांच दल ने भी इसे गंभीरता से लिया है। सूत्रों को कहना है कि अखाड़े के अंदर भी इसको लेकर कई तरह की चर्चा हैं। यही वजह है कि पंजाब में जांच के बाद जांच दल के मुंबई जाने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया जा रहा।
संन्यास कब लिया राधे मां ने-
द्वारिका एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि राधे मां प्रकरण में उनके निलंबन से जरूरी जांच हैं। नियम के तहत महामंडलेश्वर बनाए जाने वाले को पहले संन्यास दिलाया जाता है, फिर वेद-पाठ का ज्ञान दिया जाता है। राधे मां ने कब संन्यास धारण किया, पता नहीं। कैसे और किस आधार पर यह पद उन्हें दिया गया, इसकी जांच होनी चाहिए। साथ ही पूरा प्रकरण समाज के सामने लाया जाना चाहिए ताकि आगे इस तरह की गलती न हो सके। सतुआबाबा आश्रम के महामंडलेश्वर संतोष दास ने कहा कि निलंबन की जगह राधे मां को उनके पद से हटाया जाना चाहिए। संत समाज आस्था का प्रतीक है। पद देने से पहले इस बात की घोषणा होनी चाहिए थी कि राधे मां किस गुरु की शिष्या हैं और किस रूप में जनता के बीच आना चाहती हैं। अखिल भारतीय दंडी संन्यासी महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री ईश्वरानंद तीर्थ ने कहा कि जिस तरह से राधे मां को महामंडलेश्वर का पद दिया गया, पहले तो वैसी परंपरा ही नहीं है लिहाजा निलंबन उचित है।
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