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दुख न हो तो कैसे होगी सुख की अनुभूति

मानव के जीवन में सुख और दुख आते हैं। इसलिए दोनों का सम्मान होना चाहिए। अगर दुख न हो तो सुख की अनुभूति कैसे होगी। कोई भी ऐसा मानव नहीं होगा जिसे दुख अच्छा लगता हो लेकिन यही जीवन का सत्य है।

By Edited By: Published: Wed, 30 Jan 2013 12:35 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2013 12:35 PM (IST)
दुख न हो तो कैसे होगी सुख की अनुभूति

इलाहाबाद। मानव के जीवन में सुख और दुख आते हैं। इसलिए दोनों का सम्मान होना चाहिए। अगर दुख न हो तो सुख की अनुभूति कैसे होगी। कोई भी ऐसा मानव नहीं होगा जिसे दुख अच्छा लगता हो लेकिन यही जीवन का सत्य है। मनुष्य के शरीर रूपी क्षितिज पर कभी दुख के बादल तो कभी सुख की बरसात करने वाले बादल छाए रहते हैं। यह बातें राजगुरु आचार्य महामण्डेश्‌र्र्वर स्वामी विश्र्वात्मानंद ने कही। वह छतनाग स्थित आश्रम में भक्तों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस भौतिक संसार की चकाचौंध में मानव भटक रहा है। उसे न तो शांति मिल पा रही है और न ही जीवन का आनंद। इसलिए मनुष्य को बहुत लोभ नहीं करना चाहिए। मोह और लोभ ही जीवन को कष्ट देते हैं।

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कुंभ मेला क्षेत्र स्थित वेदांत नगर के शिविर में चल रही रामकथा को सुनने हर रोज भीड़ उमड़ रही है। स्वामी डा. राम कमल दास वेदांती महाराज ने कहा कि ईश्‌र्र्वर का सच्चे मन से दर्शन करने पर उनकी कृपा अवश्य मिलती है। कहा कि रामकथा के श्रवण से शांति की अनुभूति होती है। परिवार में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती।

कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर नौ स्थित बल्लभाचार्य शिविर में संत रसिया बाबा ने कहा कि सनातन धर्म अनादि काल से चला आ रहा है। इस धर्म को मानने वाला ही वैष्णव है। वह पत्र प्रतिनिधि से बात कर रहे थे। कहा कि गंगा के स्वरूप के साथ किसी तरह का छेड़छाड़ करना गलत है। गंगा अविरल हो इसके लिए सभी को प्रयास करना चाहिए। उन्होंने बताया कि शिविर में 4 फरवरी तक भागवत कथा तथा सात से 15 फरवरी तक रामकथा का आयोजन किया गया है। इसके साथ ही नित्य प्रति संकीर्तन भजन का कार्यक्त्रम चल रहा है।

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