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कालिका माता मंदिर में भक्तों की भीड़

चैत्र नवरात्र के आठवें दिन देवी के सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि का पूजन हुआ। माता की चौकियों में मां का गुणगान हुआ और व्रतियों ने दुर्गा सप्तशती के पाठ किए। मंदिरों में रामचरितमानस के अखंड पाठ की गूंज रहे हैं।

By Edited By: Published: Sat, 31 Mar 2012 04:25 PM (IST)Updated: Sat, 31 Mar 2012 04:25 PM (IST)
कालिका माता मंदिर में भक्तों की भीड़

देहरादून। चैत्र नवरात्र के आठवें दिन देवी के सप्तम स्वरूप मां कालरात्रि का पूजन हुआ। देहरादून के कालिका माता मंदिर में लोगों ने बड़ी संख्या में मां की पूजा-अर्चना की। माता की चौकियों में मां का गुणगान हुआ और व्रतियों ने दुर्गा सप्तशती के पाठ किए। मंदिरों में रामचरितमानस के अखंड पाठ की गूंज रहे हैं।

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श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर मां कालरात्रि के पूजन के बाद पं. माधव प्रसाद आचार्य ने दुर्गा सप्तशती का पाठ किया। सप्तमी का महात्म्य बताते हुए उन्होंने कहा कि कोई भक्त यदि श्रद्धाभाव से केवल सप्तमी का ही व्रत रखे तो संपूर्ण नवरात्र का फल उसे प्राप्त हो जाता है। दिगंबर भागवत पुरी ने बताया कि शुक्रवार को अष्टमी की मध्यरात्रि से मंदिर में 51 प्रकार की पूजन सामग्री से सामूहिक पूजन होगा। जबकि, रामनवमी को कंजिका पूजन किया जाएगा। सांध्य बेला में महिला मंडली ने मेरी मां का चोला है रंग लाल, रंग बरसे, रंग बरसे, मां के दरबार रंग बरसे जैसे भजन प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। श्री श्याम सुंदर मंदिर भजन-कीर्तन के साथ मां दूधाधारी की आराधना हुई। श्रीराम कथा करते हुए पं. मदन उपाध्याय ने कहा कि धर्म की रक्षा करने के लिए ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने जन्म लिया। इस मौके पर भजन मंडली ने कित्थे गई मां शेर सजा के जंगल नूं, पावा फुला दे हार आज मंदर नूं जैसे भजनों की छटा बिखेरी। अरदास के पश्चात मां की आरती उतारी गई। भवन श्री कालिका माता मंदिर मंदिर में शक्ति महासम्मेलन के अंतिम दिन रागी जत्था गुरमीत सिंह एवं साथियों ने गुरुवाणी का पाठ किया। उन्होंने बताया कि वाहेगुरू चार शब्दों का मेल है, विष्णु, हरि, गोविंद व राम। यही शक्ति सम्मेलन है। उन्होंने शबद राम जपो जी ऐसे-ऐसे, धु्रव-प्रह्लाद जपयो जैसे, कैसो जीवन होय हमारा, जब न हुए राम नाम आधारा सुनाकर भक्तों को भावविभोर कर दिया। कबीर वाणी की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि गरीब की मदद करना बंदगी है। गरीब का मुंह गुरु की गुल्लक है। जो प्रभु से जुड़ जाता है, वह तन-मन-धन से शक्तिमान से मिल जाता है।

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