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योग धाम में लगे कष्टों पर विराम

योग के प्रति ऋषि-मुनियों एवं साधु-संतों का शुरू से ही विशिष्ट लगाव रहता है। कई ऋषि-महात्मा तो काफी ठंड में भी कई-कई घंटों तक पानी में बैठे रहते थे जो दृढ़ निश्चय व योग अभ्यास से ही संभव हो पाता है।

By Edited By: Published: Mon, 23 Apr 2012 12:19 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2012 12:19 PM (IST)
योग धाम में लगे कष्टों पर विराम

योग के प्रति ऋषि-मुनियों एवं साधु-संतों का शुरू से ही विशिष्ट लगाव रहता है। कई ऋषि-महात्मा तो काफी ठंड में भी कई-कई घंटों तक पानी में बैठे रहते थे जो दृढ़ निश्चय व योग अभ्यास से ही संभव हो पाता है। हरियाणा के अलावा भारत में ही नहीं बल्कि समस्त विश्व में योग का बोलबाला है।

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अब सब ओर योग की बयार है। हरियाणा के करनाल जिले के गांव घरौंडा में स्थित योगधाम में भी योग के माध्यम से शारीरिक व मानसिक कष्टों पर विराम लगता है। इस योगधाम में वैसे तो समय-समय पर महान योगी आकर लोगों को योग से रूबरू करवाते हैं लेकिन यहां हर रोज महान योगियों के अनुयायी भी लोगों को योगाभ्यास करवाते हैं। यहां आने वाले हर व्यक्ति को निश्चित ही फायदा मिलता है। यही कारण है कि यहां आने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस योगधाम की स्थापना बाबा दासलाल महाराज ने की थी। यहां अब उनके अनुयायी राजेश ब्रह्मचारी व महाबीर बाबा लोगों को सुबह-शाम योगाभ्यास करवाते हैं। यहां योग के साथ-साथ अध्यात्म की ओर भी विशेष ध्यान दिया गया है। यही कारण है कि इस योगधाम में आगरा में सवाई के संस्थापक रामलाल महाराज एवं अलुपुर में स्थित योग आश्रम के संस्थापक चंद्रमोहन महाराज की तस्वीर स्थापित की गई है। योग सीखने यहां आने वाला हर व्यक्ति इन तस्वीरों के समक्ष शीश झुकाता है। रामलाल व चंद्रमोहन महाराज के जन्मदिन के अवसर पर यहां क्रमश: रामनवमी व विजयादशमी के दिन मेलों का आयोजन होता है। इन मेलों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है।

पानीपत से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित इस योगधाम को योगीराज रामलाल-चंद्रमोहन योगधाम नाम से जाना जाता है। इसमें समय-समय पर प्रवचन होते हैं। प्रवचनों के दौरान भी यहां असंख्य श्रद्धालु पहुंचते हैं। योगधाम के भव्य एवं चारों ओर से हरियाली से आच्छादित भवन को देखकर यहां आने वाला व्यक्ति इसे भूल नहीं पाता है। वह बार-बार यहां आने के लिए लालायित रहता है। योग सीखने के लिए यहां हर रोज आने वाले व्यक्तियों का कहना है कि वास्तव में इस योगधाम में उनके कष्टों का निवारण हुआ है। अब वे अपने व्यस्ततम समय में से समय निकालकर यहां अवश्य पहुंचते हैं और योग से लाभान्वित होते हैं।

योगीराज रामराल ने जनकल्याण के अनेक कार्य किए हैं। उनके भक्त उनके कल्याणकारी कार्यो को प्रेरणास्त्रोत मानते हैं। उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में रहकर तप किया और लोगों को योग की विस्तृत जानकारी दी।

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