करवा चौथ: भावनात्मक लगाव होता है मजबूत
करवा चौथ के चलते सुहागिनों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। महिलाएं कहीं मेहंदी लगवाने तो कई महिलाएं चूडि़यां पहनने के लिए बाजारों में व्यस्त हैं। दो नवंबर, शुक्रवार को व्रत रखकर वे अपने पति की लंबी आयु की कामना करेंगी।
फरीदाबाद। करवा चौथ के चलते सुहागिनों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। महिलाएं कहीं मेहंदी लगवाने तो कई महिलाएं चूडि़यां पहनने के लिए बाजारों में व्यस्त हैं। दो नवंबर, शुक्रवार को व्रत रखकर वे अपने पति की लंबी आयु की कामना करेंगी। सुहागिनों ने इस बात के लिए खुशी जाहिर की कि भारतीय समाज में पति को परमेश्वर का दर्जा दिया जाता है।
पति के लिए भूखा, प्यासा रहना पत्नी को अच्छा लगता है। करवा चौथ पति, पत्नी के रिश्तों को मजबूत करता है। करवा चौथ पर पति के लिए मंगलकामना का पर्व है। ये त्योहार प्यार भी बढ़ाता है। सास अपनी बहु को सरगी (मिष्ठान आदि) देती हैं, जिसका सेवन सुबह ही किया जाता है, फिर दिन भर भूखा, प्यासा रहना पड़ता है। ये त्याग भी पति, पत्नी के रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है।
पति के लिए व्रत रखने पर बड़ी खुशी होती है। करवा चौथ प्यार का त्योहार है। इस दिन सास बहु को और बहु सास को उपहार देती हैं। करवा चौथ पर पति गिफ्ट करते हैं।
करवा चौथ का व्रत रखने से देवताओं की अराधना हो जाती है और धर्म का निर्वाह भी। करवा चौथ का त्योहार पति-पत्नी के भावनात्मक लगाव को और मजबूत करता है। पहले और अब मनाने के तौर तरीकों में बदलाव आ गया है। पहले सादगी से ये त्योहार मनाया जाता था और अब श्रृंगार पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। वैसे ये सब भी अच्छा लगता है।
बुजुर्ग महिलाएं बोलीं-
करवाचौथ मनाने के तौर तरीकों में बदलाव भी अच्छा है। करवा चौथ मनाने को लेकर जहां युवा सुहागिनें उत्साहित हैं, वहीं बुजुर्ग महिलाएं भी करवा चौथ मनाने की तैयारी में जुटी हैं। बुजुर्ग महिलाओं का कहना है कि करवाचौथ पति, पत्नी के साथ सास, बहु के रिश्तों को भी मजबूत करता है। सास जब बहु को सरगी के रूप में मिठाई, फल तथा श्रृंगार का सामान देती हैं तो इससे आपस में प्यार व आदर की भावना का विकास भी होता है।
भारतीय संस्कृति से जुड़े पर्व, त्योहार एकजुटता की सीख देते हैं। करवाचौथ पति, सास तथा बहु के बीच प्यार को बढ़ाता है। सभी सुहागिनें मिलकर इस त्योहार को मनाती हैं, ये अच्छी परंपरा है।
करवा चौथ के व्रत में जब कथा सुनी जाती है तो इससे नई दुल्हनों को अपनी धर्म, संस्कृति का ज्ञान होता है, साथ ही पति के प्रति समर्पण भाव भी जागृत होता है। सास द्वारा अपनी बहु को सरगी (मिष्ठान) देने की परंपरा से आपस में प्यार भी बढ़ता है। करवाचौथ के चलते दिन भर अन्न, जल के सेवन न करने से त्याग की भावना का विकास होता है। पति, पत्नी में जहां प्यार बढ़ता है, वहीं पारिवारिक रिश्तों में मजबूती आती है। थोड़ा, बहुत बदलाव जरूर नजर आया है।
अब करवाचौथ भी खर्चीला त्योहार हो गया है, फिर भी अपनी संस्कृति से जुड़ा ये त्योहार सुहागिनों के लिए अहम है।
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