जय गुरुदेव मेला: श्रद्धा के समुद्र में भक्ति का सैलाब
अनमोल मानव बार-बार नहीं मिलता। कई युग के पुण्य कर्म संचित होने के बाद ईश्र्र्वर ने यह मौका हम लोगों को दिया है। इस जीवन में हम सत्संग का लाभ उठा सकते हैं।
मथुरा। अनमोल मानव बार-बार नहीं मिलता। कई युग के पुण्य कर्म संचित होने के बाद ईश्र्र्वर ने यह मौका हम लोगों को दिया है। इस जीवन में हम सत्संग का लाभ उठा सकते हैं।
जयगुरूदेव आश्रम पर गुरूवार से शुरू हुए पांच दिवसीय स्वामी घूरेलाल महाराज के वार्षिक भंडारा मेला सत्संग के पहले दिन सुबह और शाम हुये सत्संग में यह संदेश डॉ. केके मिश्रा और सतीश चन्द्र यादव ने दिए।
प्रवचनकर्ता द्वय ने कहा कि ज्ञान-अज्ञान में जो भी कम हमने किये, उसका पर्दा पहाड़ की तरह सूरत पर जमा हो गया है। हम अपने प्रभु को भूल गये हैं तथा उन्हें बाहर की वस्तुओं में ढूंढते हैं। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु एकत्रित थे।
गाडि़यां और झूला देख निहाल-
आश्रम में खड़ी बाबा जयगुरूदेव की गाडि़यां और उनका झूला अनुयायियों के श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। कोई इसे छूकर तो कोई धूल की सफाई कर निहाल होता रहा।
एक कार में जयगुरुदेव के गुरु घूरेलाल जी का चित्र रखा था। सेवादार ने जब ये जानकारी दी तो अनुयाइयों के लिए मानो मुराद मिल गयी। गदगद होकर ऐसे सिर नवाया मानो साक्षात भगवान के दर्शन हो गये हों।
नमक, रोटी खाएंगे और मंदिर बनाएंगे-
उपदेशकों ने कहा कि बाबा जयगुरूदेव ने हम लोगों से यह संकल्प कराया था कि नमक, रोटी खाएंगे और मंदिर बनाएंगे। इसी का परिणाम यहां जयगुरूदेव नाम योग साधना मंदिर है।
समाधि स्थल की परिक्रमा-
चारों तरफ से लोहे की जालियों से घिरे बाबा जयगुरूदेव की समाधि स्थल पर अनुयायी पूरे दिन परिक्रमा लगाते रहे। उनकी स्थान-स्थान पर रखी तस्वीरों के सामने भी लोग शीश झुकाते रहे।
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