मातृनवमी का श्राद्ध कल
मानव जीवन में मर्यादा व सम्मान ही एक ऐसी विधा है जिसके द्वारा चारों पुरुषार्थो की प्राप्ति होती है। इससे व्यक्ति के ऊपर परमब्रहृम परमात्मा की कृपा सद्य: होती है।
वाराणसी। मानव जीवन में मर्यादा व सम्मान ही एक ऐसी विधा है जिसके द्वारा चारों पुरुषार्थो की प्राप्ति होती है। इससे व्यक्ति के ऊपर परमब्रहृम परमात्मा की कृपा सद्य: होती है। वैदिक धर्म के अंतर्गत इसके मूल में व्रत एवं त्योहारों का आश्रय लिया जाता है।
समस्त पर्वो का अपना अलग-अलग महत्व है। इसमें हम अपने श्रेष्ठ व पूज्य का सम्मान किसी न किसी रूप में करते हैं। इस क्रम में आश्विन कृष्ण नवमी को मातृनवमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन माता के श्राद्ध का विधान है। यह तिथि इस वर्ष नौ अक्टूबर मंगलवार को पड़ रही है।
मातृनवमी के दिन बहुएं (पुत्रवधू) अपनी स्वर्गवासी सास व माता के सम्मान एवं मर्यादा हेतु श्रद्धाजंलि देती हैं और धार्मिक कृत्य करती हैं।
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