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धूसर ना हो वासंती रंग

आचार्य अविनाश के मुताबिक पंचमी तिथि गुरुवार की सुबह 10.10 बजे से लगेगी, परंतु तब तक सूर्योदय हो चुका होगा। इसलिए स्नान, पूजन व व्रत की पंचमी शुक्त्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन सुबह 10.48 तक यह तिथि रहेगी।

By Edited By: Published: Thu, 14 Feb 2013 03:11 PM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2013 03:11 PM (IST)
धूसर ना हो वासंती रंग

कुंभनगर। अमृत मुहूर्त

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स्नान, व्रत शुक्रवार को

आचार्य अविनाश के मुताबिक पंचमी तिथि गुरुवार की सुबह 10.10 बजे से लगेगी, परंतु तब तक सूर्योदय हो चुका होगा। इसलिए स्नान, पूजन व व्रत की पंचमी शुक्त्रवार को मनाई जाएगी। इस दिन सुबह 10.48 तक यह तिथि रहेगी। शुक्रवार को सूर्योदय के समय पंचमी तिथि के साथ अश्‌िर्र्वन नक्षत्र व शुभ योग रहेगा। इसमें भगवती सरस्वती की आराधना का विशेष महत्व है। इसी दिन स्नान व व्रत रखना चाहिए। वह बताते हैं कि मनुष्य के अंदर सतो, तमो व रजो गुण होते हैं। साथ ही वर्ष में तीन प्रमुख पंचमी होती है। इसमें नागपंचमी सतो, श्रीपंचमी तमो व माघशुक्ल की वसंत पंचमी रजो गुण को बढ़ाती है। इसलिए ज्ञान, वैराग्य के लिए यह काफी शुभ मानी जाती है।

परिवर्तन मानव विकास संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. बिपिन पांडेय बताते हैं कि शुक्रवार को संगम में स्नान का अमृत मुहूर्त भोर में 4.56 आरंभ होगा, जो सुबह 6.02 तक रहेगा। इस समयावधि में स्नान, दान का विशेष महत्व है।

कुंभ में कुछ सावधानियां खुद करनी होंगी श्रद्धालुओं को-

महाकुंभ के दौरान वसंत पंचमी पर पवित्र संगम में स्नान, दान से विद्या- बुद्धि की देवी, वेदों की अधिष्ठात्री मां सरस्वती की कृपा करेंगी। यह उनकी आराधना का श्रेष्ठ दिन है। इसलिए इसका महत्व बढ़ गया है। विद्वानों का कहना है कि वसंत पंचमी पर सूर्योदय से पहले संगम में स्नान, दान करने वालों की अज्ञानता दूर होगी। साथ ही वसंत पंचमी से सूर्य उत्तरायण होंगे, इससे काफी दिनों से रुके शुभ कार्य भी आरंभ हो जाएंगे। भारतीय विद्या भवन के निदेशक धर्माचार्य, डॉ. रामनरेश त्रिपाठी बताते हैं कि दैवी शक्तियों की ऊर्जा त्रिवेणी में प्रवाहित होती हैं। इसमें स्नान करने वाले भक्त को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण, सदज्ञान का आहरण करके उसमें डुबकी लगानी चाहिए, अन्यथा उसका फल नहीं प्राप्त होता। वह कहते हैं कि हमारे तंत्र शास्त्र में ऋतु का विशेष महत्व है, वसंत पंचमी से ऋतुओं में परिवर्तन होता है। यहीं से प्रकृति के सौंदर्य का दर्शन होता है, वृक्षों के पुराने पत्ते झड़ने लगते हैं, खेतों में सरसों के पीले फूल हृदय को संतुष्टि प्रदान करते हैं। इस दिन गृहप्रवेश, नामकरण, मुंडन, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ, यज्ञोपवीत, विद्यारंभ करना कल्याणकारी रहता है। वसंत पंचमी पर वेद, पुराणों की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा पठन-पाठन की सामग्री की पूजा भी लाभकारी होगी।

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