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अदब से, यह है भक्तों का तपस्वी वार्ड

मंडलीय अस्पताल के आपात कक्ष का एक वार्ड अब तपस्वी वार्ड के रूप में पहचाना जाने लगा है। अस्पताल में अपने परिजनों का इलाज कराने आए लोगों के कदम खुद-ब-खुद इस वार्ड की ओर बढ़ जाते हैं और वार्ड के ठीक सामने पहुंचने के बाद वह इसकी तस्दीक कुछ इस रूप में करते हैं भइया, यही तपस्वी वार्ड है ना।

By Edited By: Published: Tue, 08 May 2012 11:13 AM (IST)Updated: Tue, 08 May 2012 11:13 AM (IST)
अदब से, यह है भक्तों का तपस्वी वार्ड

वाराणसी। मंडलीय अस्पताल के आपात कक्ष का एक वार्ड अब तपस्वी वार्ड के रूप में पहचाना जाने लगा है। अस्पताल में अपने परिजनों का इलाज कराने आए लोगों के कदम खुद-ब-खुद इस वार्ड की ओर बढ़ जाते हैं और वार्ड के ठीक सामने पहुंचने के बाद वह इसकी तस्दीक कुछ इस रूप में करते हैं भइया, यही तपस्वी वार्ड है ना। यह वह वार्ड है जहां गंगा अभियान से जुड़े तपस्वी स्वामी सानंद, गंगाप्रेमी भिक्षु व बाबा नागनाथ को भर्ती किया गया है। दूर-दराज बैठे किसी को भले यकीन न हो लेकिन यह सच है कि इस वार्ड को लोग मंदिर के रूप में देखने लगे हैं। जो परिचित हैं वह तो अंदर चले जाते हैं लेकिन बाहर से आयी अनजान महिलाओं व पुरुषों को वार्ड के दरवाजे के पास हाथ जोड़े दरवाजे के शीशे से अंदर झांकते देखा जा सकता है। देखा तो यह भी जा रहा है कि इस वार्ड में प्रवेश करने से पहले चाहे वह इस अस्पताल के डॉक्टर, कर्मचारी ही हों अथवा शासन-प्रशासन से जुड़ा वीआईपी या फिर मिलने-जुलने वाले लोग, उनकी आंखें और अभिव्यक्ति खुद-ब-खुद श्रद्धावनत हो जाती है। प्रशासन के निर्देश पर चाहे ड्रिप लगाने अथवा फोर्स फीडिंग की कार्रवाई हो, चिकित्सकों के हाथ कांपते ही नजर आए। यहां तक कि इन तपस्वियों को ड्रिप लगाने से पहले और लगाने के बाद चिकित्सकों द्वारा क्षमा याचना की जाती है। अस्पताल के ही कुछ वरिष्ठ चिकित्सक स्वीकार करते हैं कि वह दिली तौर पर गंगा अभियान के साथ हैं। कहते हैं, एक तो मैं सरकारी मुलाजिम हूं, ऊपर के आदेश का पालन और जान की रक्षा करना मेरा दायित्व है। ड्रिप लगाना अथवा फोर्स फीडिंग यह मेरे दायित्व का हिस्सा है। मैं नहीं चाहता मेरे संतों को कुछ हो। ये तपस्वी अपने लिए नहीं मेरे और अगली पीढ़ी के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। इसलिए मेरा मौन समर्थन इनके साथ है। हां, लोगों को गंगा अभियान से जुड़ने के लिए प्रेरित जरूर करता हूं। मेरा छोटा बच्चा जब स्कूल की तरफ से गंगा रैली में जा रहा था तो मुझे काफी प्रसन्नता हुई। वहीं दूसरी तरफ वार्ड में भर्ती इन तीन तपस्वियों पर नजर डालें तो स्वामी सानंद संत ही नहीं बल्कि देश के जाने माने पर्यावरणविद् भी हैं। गंगाप्रेमी भिक्षु जाने माने तपस्वी और मौनव्रती हैं तो बाबा नागनाथ महाश्मशान के साधक। तपस्यारत इन संतों को यकीन है कि उनकी साधना व्यर्थ नहीं जाएगी। सरकार झुकेगी और गंगा की प्राण-प्रतिष्ठा स्थापित होगी। तपस्वी वार्ड के प्रताप का असर ही है कि जिले के एक आला अफसर ने भी अपनी दैनिक दिनचर्या में तीन घंटे सुबह और तीन घंटे शाम अन्न-जलत्याग तपस्या को भी शामिल कर लिया है। यह जानकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने दी।

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