भगवान भरोसे है गंगा घाटों पर सुरक्षा
तीर्थनगरी के गंगा घाटों पर जानमाल की सुरक्षा भगवान भरोसे है। गंगा के खतरनाक घाट लगातार जिंदगियां लील रहे हैं। मगर, इसके बावजूद भी पुलिस और प्रशासन की नींद नहीं टूट रही है।
ऋषकेश। तीर्थनगरी के गंगा घाटों पर जानमाल की सुरक्षा भगवान भरोसे है। गंगा के खतरनाक घाट लगातार जिंदगियां लील रहे हैं। मगर, इसके बावजूद भी पुलिस और प्रशासन की नींद नहीं टूट रही है।
गंगा में अधिकांश हादसे भले ही मानवीय भूल के चलते होते हों मगर, मानवीय भूल मानकर जिम्मेदारी से बचा नहीं जा सकता। तीर्थनगरी क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक खतरनाक घाट हादसों का सबब बनते जा रहे हैं। यह घाट किस न किसी बहाने लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रहे हैं। मगर, लकीर पीटने के सिवाय अभी तक किसी ठोस नतीजे पर न तो प्रशासन पहुंच पाया और न ही संबंधित क्षेत्र की पुलिस। दरअसल तीर्थनगरी में देहरादून, पौड़ी व टिहरी तीनों जनपदों की सीमाओं में गंगा के घाट हैं। तीनों जनपदों का जिला प्रशासन व पुलिस व्यवस्था भी पृथक है। लिहाजा इस दिशा में प्रत्येक पहल मुकाम पर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती है। हैरानी की बात तो यह है कि तीर्थनगरी के किसी भी घाट पर स्नान के लिए समुचित व्यवस्था तक नहीं की गई है। तीर्थनगरी की हृदयस्थली कहे जाने वाले त्रिवेणी घाट पर भी जब जंजीर की व्यवस्था नहीं तो दुर्गम घाटों की स्थिति क्या होगी समझा जा सकता है।
ऋषिकेश क्षेत्र में पशुलोक बैराज से लेकर शीशमझाड़ी तक के क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक खतरनाक घाट हैं। मगर, यहां घाटों की सुरक्षा मात्र दो जल पुलिस के जवानों पर निर्भर है। यही हाल मुनिकीरेती थाना क्षेत्र के गंगा घाटों का भी है। यहां करीब चालीस किमी लंबा गंगा क्षेत्र है जिस पर कई बीच कैंपों के अलावा कई खतरनाक घाट भी हैं। मगर, जल पुलिस की बात करें तो मात्र चार जवान, दो गोताखोर व एक जेट सेक्शन ही तैनात हैं। पौड़ी जनपद के लक्ष्मणझूला थाना क्षेत्र के गंगा के घाटों का जिम्मा छह जवानों और तीन गोताखोरों के हाथों है। जबकि डूबने की सर्वाधिक घटनाएं इसी क्षेत्र में होती हैं। बड़ी विडंबना यह है कि किसी भी थाने में जल पुलिस के पास अपना ठिकाना तक नहीं है। पुलिस स्टेशन व चौकियों पर निर्भर जल पुलिस को घटनास्थल तक पहुंचने में ही काफी समय लग जाता है।
घाटों पर लुट रहे यात्री- सुरक्षा व चौकसी न होने के कारण गंगा घाटों पर पर्यटक व तीर्थयात्री अपनी गाढ़ी कमाई भी लुटा रहे हैं। यह हाल तब है जब पुलिस पुख्ता प्रबंधन के दावे करती है। मगर, हकीकत यह है कि आए दिनों गंगा घाटों पर यात्रियों के साथ टप्पेबाजी और लूट की घटनाएं प्रकाश में आ ही जाती है। दरअसल किसी भी गंगा घाट पर पुलिस की नियमित तैनाती नहीं होती। गश्त होती भी है तो नाममात्र की। इसका फायदा उठाकर टप्पेबाज यात्रियों के कपड़े, बैग और अन्य वस्तुओं पर हाथ साफ करने में कामयाब हो जाते हैं।
यात्रा काल के दौरान घाटों में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर ऋषिकेश, लक्ष्मण झूला और मुनिकीरेती के सभी थाना प्रभारियों को विशेष निर्देश जारी किए गए हैं। सभी स्थानों पर सिविल वर्दी में पुलिस तैनाती को कहा गया है। संदिग्ध लोगों पर विशेष नजर रखी जा रही है। जिस किसी भी क्षेत्र में सिविल पुलिस या जल पुलिस की जरूरत है वहां स्टाफ बढ़ाया जाएगा।
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