Move to Jagran APP

अब नासिक में सुलझाएंगे विवाद

बिना भोज भात और विवाद को निपटाए सभी अखाड़े कुंभ नगरी से सोमवार को नासिक में मिलने के वायदे के साथ विदा हो गए। विदा विदाई के समय अखाड़ों और मेला प्रशासन के बीच सामान्य शिष्टाचार का पालन भी नहीं हुआ। अखाड़ों के बीच एका को लेकर कोई प्रयास नहीं हुआ।

By Edited By: Published: Tue, 26 Feb 2013 03:24 PM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2013 03:24 PM (IST)
अब नासिक में सुलझाएंगे विवाद

कुंभ नगर [रवि उपाध्याय]। बिना भोज भात और विवाद को निपटाए सभी अखाड़े कुंभ नगरी से सोमवार को नासिक में मिलने के वायदे के साथ विदा हो गए। विदा विदाई के समय अखाड़ों और मेला प्रशासन के बीच सामान्य शिष्टाचार का पालन भी नहीं हुआ। अखाड़ों के बीच एका को लेकर कोई प्रयास नहीं हुआ। चर्चित स्वामी नित्यानंद एवं राधे मां को महामंडलेश्वर बनाने जाने पर उठा सवाल भी हल नहीं हो पाया। जूना अखाड़े से निकाले गए आधा महामंडलेश्वर भी अधर में हैं। वैष्णव अखाड़ा परिषद का गठन भी अगले कुंभ तक लटक गया।

loksabha election banner

प्रयाग कुंभ ने इस बार कई इतिहास रचे। नए विवादों को जन्म दिया। आपसी भाईचारा टूटता दिखा। सामान्य परंपरा बिखरती नजर आई। सबसे बड़ा विवाद अखाड़ा परिषद का रहा। कुंभ पर्व के पहले अखाड़े में दो फाड़ हुए। दो परिषद बने एक में सात और दूसरे छह अखाड़े सम्मिलित हुए। जूना अखाड़ा वैरागियों के साथ मेले के प्रथम हाफ तक खड़ा दिखाई दिया। आईजी के यहां भोजभात में एका की पहल शुरू हुई तो हाईकोर्ट ने महंत ज्ञानदास को अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष मानते हुए मेला कराने का आदेश दे दिया। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद जूना अखाड़ा वैरागी अखाड़ा का साथ छोड़कर दूसरे पाले में चला गया। मेला लगभग समाप्त हो गया लेकिन सभी अखाड़े एक साथ नहीं बैठे। परंपरा रही है कि मेला समाप्ति के बाद अखाड़ा परिषद मेला प्रशासन को सम्मानित करता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया। मेला प्रशासन ने भी अपनी तरफ से अखाड़ों को सम्मानित करते उनका प्रमाण पत्र हासिल नहीं किया। दोनों पक्षों की भावुकता और क्षमा मांगने की यह प्रथा नहीं हुई। देश की आजादी के बाद से चली आ रही इस परंपरा पर ब्रेक लग गया।

सेक्स स्कैंडल में फंसे स्वामी नित्यानंद स्वामी एवं राधे मां का महामंडलेश्वर बनना इस कुंभ की सुर्खिया बना रहा। राधे मां का यहां आना और बैरंग लौट जाना फिर उन्हें एक रिपोर्ट में क्लीन चिट मिलना जूना अखाड़े के लिए सिरदर्द बना रहा। इसी प्रकार महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा स्वामी नित्यानंद को गुपचुप तरीके से महामंडलेश्वर बनाया जाना एक नया विवाद को जन्म दे गया। इस प्रकरण पर अखाड़ों के बीच मतभेद खुलकर सामने आए। जूना अखाड़ा के पायलट बाबा, अर्जुन पुरी, यतीन्द्रानंद गिरि समेत आधा दर्जन महामंडलेश्वर को बाहर का रास्ता दिखाने का निर्णय कुंभ पर्व की सबसे बड़ी खबर बनी। इन महामंडलेश्वर को शाही स्नान से अखाड़े ने रोक दिया। दो शाही स्नान में शामिल नहीं होने पाने का मलाल इन संतों रहा। जूना अखाड़ा का यह निर्णय नासिक में क्या गुल खिलाएगा इसके लिए सभी को इंतजार रहेगा। ऐसे ही वैष्णव अखाड़ा परिषद का गठन अधर में लटका हुआ है। बैठक हो चुकी है। बस मुहर लगनी है। यह मसला क्या रूप दिखाएगा इसको लेकर अभी सवाल उठ रहे हैं। ऐसे ही थोक में बनाए गए महामंडलेश्वर, अखाड़ों के आंतरिक चुनाव, उनकी नई कार्यपरिषद, सबसे बड़े अखाड़े जूना के नए अध्यक्ष की भूमिका पर भी सबकी नजर रहेगी। असली नकली शंकराचार्यो का मसला भी चर्चा में रहेगा।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.