मांगेंगे गंगाजल लाने का खर्च
सुप्रभातम् ने श्री काशी विश्वनाथ वार्षिक कलश-यात्रा के लिए टिहरी से गंगाजल मंगाने पर हुए खर्च को सरकार से लेने की घोषणा की है।
वाराणसी। सुप्रभातम् ने श्री काशी विश्वनाथ वार्षिक कलश-यात्रा के लिए टिहरी से गंगाजल मंगाने पर हुए खर्च को सरकार से लेने की घोषणा की है। इस बाबत खर्च का पूरा ब्योरा तैयार किया जा रहा है और उसे जल्द ही जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को भेज दिया जाएगा। कार्यक्त्रम संयोजक जगदंबा प्रसाद तुलस्यान ने बताया कि काशी का गंगाजल इस कदर प्रदूषित हो चुका है कि इससे बाबा का अभिषेक करना संभव नहीं है। गंगा की इस दुर्दशा के लिए पूरी तरह केंद्र सरकार जिम्मेदार है। दूसरी तरफ कलश यात्रा काशी का धार्मिक व वार्षिक अनुष्ठान है, लिहाजा इस अनुष्ठान को पूरा करने के लिए बाहर से गंगाजल लाने और उस पर हुआ व्यय भी सरकार को ही वहन करना चाहिए। खर्चा वसूली का यह निर्णय सरकार को आईना दिखाने का एक प्रयास भी है। टिहरी से आया गंगाजल, विधि विधान से पूजन-अर्चन : टिहरी से लाए गए गंगाजल का रविवार को दुर्गाकुंड स्थित त्रिदेव मंदिर में विधि विधान से पूजन-अर्चन किया गया। यह गंगाजल 31 मई को निर्जला एकादशी के दिन एक हजार आठ कलशों में भर कर काशी के नागरिकों द्वारा सुप्रभातम् के बैनर तले बाबा को अर्पित किया जाएगा। श्री जगदंबा तुलस्यान के अनुसार इस कलश यात्रा का नेतृत्व महाराष्ट्र प्रांत के प्रमुख ज्योर्तिलिंग के ट्रस्टी राजेश देशमुख करेंगे। कार्यक्त्रम में गोविंद केजरीवाल, अनूप सराफ, पवन टिबड़ेवाल, हेमदेव अग्रवाल, ओपी तिवारी, उमाशंकर अग्रवाल, डॉ. शशिकांत दीक्षित, पवन अग्रवाल आदि शामिल थे। बिहार से आए गंगा भक्त वाराणसी : शंकराचार्य घाट पर तपस्यारत संन्यासी योगेश्वरानंद से मिलने बिहार के गंगा भक्तों की टोली रविवार को तपस्थली पहुंची। टोली ने बिहार में गंगा के लिए जनजागरण चलाने की जानकारी दी और दिल्ली कूच में हिस्सा लेने का संकल्प लिया। आजमगढ़ से भी नेहा बिसेन के नेतृत्व में एक जत्था शंकराचार्य घाट पहुंचा और गंगा अभियान में हिस्सा लेने का विश्वास जताया। जनता भी आए आगे शंकराचार्य घाट पर जुटे नगर के विभिन्न समाजिक, धार्मिक व सांस्कृतिक संगठनों को संबोधित करते हुए अभियानम के प्रदेश समन्वयक राकेशचंद्र पांडेय ने कहा कि सरकार गंगा अभियान को समाप्त करने का कुचक्त्र रच रही है। गंगा को बचाने के लिए साधु-संत समाज लामबंद हो चुका है ऐसे में जनता को भी आगे आ जाना चाहिए। यतींद्रनाथ चतुर्वेदी ने कहा कि हमें गंगा को बचाने के लिए एकजुट हो जाना चाहिए। बैठक को डॉ. गिरीशचंद्र तिवारी, अतहर जमाल लारी ने भी संबोधित किया।
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